संजय किशोर का स्ट्रेट ड्राइव : जरा बच के 'कैरेबियन कैलिप्सो' से

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

शुक्र मनाइए कि 'गेल स्टॉर्म' पहले आ गया और टीम इंडिया को अपनी रणनीति फिर से बनाने का मौक़ा मिल गया। पहले दो मैच में क्रिस गेल का बल्ला नहीं चला तो आलोचक उन्हें ख़ारिज करने में लग गए। यहां तक कि वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख डेव कैमरून ने ट्वीट करके उनकी आलोचना की थी।

मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण के कॉमिक्स में चाचा चौधरी के सहायक और जूपिटर ग्रह से आए साबू को जब गुस्सा आता है तो कहीं ज्वालामुखी फूटता है। डील-डौल और शख़्सियत में क्रिस्टोफ़र हेनरी गेल भी साबू से कम नहीं हैं। पिछले हफ़्ते मंगलवार को कैनबरा में ज़िम्बाब्वे पर गेल का गुस्सा फूटा, तो रनों और रिकॉर्ड आग के गोले की तरह बरस रहे थे। गेल 147 गेंदों पर 215 रन के साथ वे वर्ल्ड कप में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने। ये वनडे का सबसे तेज़ दोहरा शतक है। मार्लन सैमुअल्स के साथ उन्होने 372 रनों की साझेदारी की जो वनडे में नया वर्ल्ड रिकॉर्ड है। पारी में 16 छक्के मार रोहित शर्मा और एबी डिविलियर्स की बराबरी की। सचिन तेंदुलकर के प्रशंसक अगर उन्हें क्रिकेट का 'गॉड' कहते हैं, तो गेल को उनकी तूफ़ानी पारियों के लिए नाम दिया गया है 'गॉडज़िला'।

ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ मैच के बाद गेल ने कहा, 'वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आप को साथ और हौसला आफ़जाई की ज़रूरत होती है। अगर सबका साथ मिलता है तो प्रदर्शन इससे भी ज़बरदस्त हो सकता है।'

ज़ाहिर है उनके तेवर और फ़ॉर्म को देखते हुए भारतीय टीम ने नए सिरे से रणनीति बनायी होगी। शुक्रवार को पर्थ में भारत का सामना वेस्टइंडीज़ से होगा तो टीम इंडिया की पहली कोशिश होगी क्रिस गेल को जल्दी आउट करने की। गेल की कमज़ोरी स्पिन गेंदबाज़ों का खेलना रही है। 267 वनडे में 44 बार वे स्पिनर्स का शिकार हुए हैं। बहुत संभव है कि रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा को जल्दी गेंद थमाकर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी गेल को जल्दी आउट करने में कामयाब हो जाएं।

चलो मान लेते हैं कि भारतीय गेंदबाज़ गेल को जल्दी आउट कर लेते हैं। लेकिन क्लाइव लॉयड की बात भी जरा ध्यान से सुन लीजिए। दो बार वेस्टइंडीज़ को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले करिश्माई कप्तान और अपने जमाने के धाकड़ बल्लेबाज़ क्लाइव लॉयड वेस्टइंडीज़ के मुख्य चयनकर्ता हैं। उनकी बात को यों ही नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। लॉयड का कहना है कि कैरिबियाई टीम सिर्फ़ गेल पर निर्भर नहीं हैं। उनकी टीम में और भी खिलाड़ी हैं जो मैच का रुख अपनी ओर मोड़ सकते हैं। बात में दम है। उम्मीद है कि धोनी एंड कंपनी अपनी सारी ताकत सिर्फ़ गेल पर ही जाया न कर दें।

याद रखिए। जब कैनबरा में गेल की आंधी चल रही थी तो दूसरे छोर पर एक और बल्लेबाज़ ने शानदार शतकीय पारी खेली थी। मार्लन सैमुअल्स ने बगैर आउट हुए 156 गेंदों पर 133 रनों की पारी खेली थी। आयरलैंड के लिंडल सिमन्स ने 102 और डैरेन सैमी ने 89 रन बनाए थे। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भी सिमन्स का बल्ला ख़ूब चला था। सिमन्स ने 50 और दिनेश रामदिन ने 51 रनों का योगदान दिया था। वहीं दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ कप्तान जेसन होल्डर ने 56 रन बनाए थे। यानी हर मैच में उनका एक बल्लेबाज़ रन बना रहा है। अगर दो बल्लेबाज़ बड़ा स्कोर बना लें तो टीम इंडिया को मुश्किल हो सकती है। जहां तक गेंदबाज़ी की बात है जेराम टेलर ने पहले तीनों मैच में 3-3 विकेट लिए। आयरलैंड पाकिस्तान और ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ 3-3 विकेट लेने के बाद पर्थ की पिच पर भारतीय बल्लेबाज़ों को परेशान कर सकते हैं।

एक ज़माने में पाकिस्तान की टीम को अप्रत्याशित कहा जाता था। इस बार वेस्टइंडीज़ को 'अनप्रेग्डीक्टेबल' कहा जा सकता है। दक्षिण अफ़्रीका से करारी चोट के बाद कैरेबियन टीम चोट खाए सांप की तरह है। सबसे बड़ी बात इस टीम पर कोई दबाव नहीं है। बगैर किसी दबाव के टीम जब मैदान पर उतरती है तो ज़्यादा खतरनाक होती है। दक्षिण अफ़्रीका की टीम भारत से बेहतर मानी जाती रही। लेकिन 'चोकर्स' के टैग और दबाव में टीम बिखरती चली गयी और धोनी के धुरंधरों ने उन्हें बुरी तरह धो डाला।

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पर्थ में इस शुक्रवार को दबाव भारत पर होगा। भले ही टीम इंडिया का विजय रथ अब तक वर्ल्ड कप में पूरी रफ़्तार के साथ दौड़ रहा है। लेकिन मेरे ख़्याल से भारत को पहली बड़ी चुनौती वेस्टइंडीज़ से मिल सकती है। टीम इंडिया को कैरेबियन कैलिप्सो से सावधान रहना होगा।