यह ख़बर 03 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

टेस्ट में पिछली 40 पारियों में एक शतक लगा पाए हैं सहवाग

खास बातें

  • राष्ट्रीय चयनकर्ता ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के बाद जब बाकी बचे दो मैचों के लिए टीम का चयन करने बैठेंगे, तो वीरेंद्र सहवाग के नाम पर गहरी मंत्रणा होने की पूरी संभावना है, क्योंकि यह सलामी बल्लेबाज लगातार मौके मिलने के बावजूद फॉर्म में वापसी करन
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय चयनकर्ता ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के बाद जब बाकी बचे दो मैचों के लिए टीम का चयन करने बैठेंगे, तो वीरेंद्र सहवाग के नाम पर गहरी मंत्रणा होने की पूरी संभावना है, क्योंकि यह सलामी बल्लेबाज लगातार मौके मिलने के बावजूद फॉर्म में वापसी करने में नाकाम रहा है।

अपनी लचर फॉर्म के कारण सहवाग एक-दिवसीय टीम से बाहर कर दिए गए थे, लेकिन आक्रामक तेवरों के कारण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों के लिए उन्हें टीम में बरकरार रखा गया था। अभी तक इस शृंखला की तीन पारियों में उन्होंने 2, 19 और 6 रन बनाकर चयनकर्ताओं, अपने प्रशंसकों और टीम प्रबंधन को निराश ही किया है।

सहवाग के पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर गौर करने से लगता है कि आगे उनके लिए टीम में जगह बनाना आसान नहीं होगा। दिल्ली के इस आक्रामक बल्लेबाज ने पिछली 40 टेस्ट पारियों में केवल एक शतक लगाया है। दिसंबर, 2010 के दक्षिण अफ्रीकी दौरे से लेकर अब तक उन्होंने 20 टेस्ट मैचों में 28.77 की औसत से 1036 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक शामिल है।

इस बीच पांच बार वह खाता भी नहीं खोल पाए। लगातार रनों के लिए जूझने के बाद सहवाग ने जब इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में खेले गए पहले टेस्ट मैच में 117 रन बनाए, तो लगा कि उन्होंने अपनी खोई फॉर्म हासिल कर ली है, लेकिन इसके बाद की नौ टेस्ट पारियों में वह 18.11 की औसत से 163 रन ही बना पाए। इन नौ पारियों में उनका उच्चतम स्कोर 49 रन रहा।

धोनी ने चेन्नई टेस्ट के बाद कहा था, मैं समझता हूं कि हमें सहवाग को अधिक समय देने की जरूरत है। वह ऐसा खिलाड़ी है, जिसके खेलने का अपना अलग अंदाज है। कई बार हम उनकी जरूरत से ज्यादा आलोचना कर लेते हैं। हम सभी जानते हैं कि वह ऐसा खिलाड़ी है, जो मैच का पासा पलट सकता है। वह आक्रामक बल्लेबाज है और उसे उसी रवैये के साथ आगे बढ़ने दें।

भारतीय कप्तान ने जिस सहवाग की बात की है, वैसा सहवाग पिछले तीन साल में कभी-कभार ही देखने को मिला है। आंकड़ों पर गौर करें तो सहवाग ने अगस्त, 2010 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में 7,000 टेस्ट रन पूरे किए थे। वह इस मुकाम पर सबसे कम पारियों में पहुंचने वाले दुनिया के दूसरे बल्लेबाज थे, लेकिन इसके बाद 45 पारियों में वह 1547 रन ही बना पाए हैं, जिसमें दो शतक शामिल हैं।

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इससे उनके औसत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। दिल्ली के इस बल्लेबाज ने अपने पहले 86 टेस्ट मैचों में 54.01 की औसत से 7,610 रन बनाए थे, लेकिन पिछले 18 मैचों में वह 28.62 की औसत से रन बना पाए हैं और उनका ओवरऑल औसत 50 से नीचे आ गया है।