यह ख़बर 05 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

ओलिंपिक शूटर्स ने शुरू किया अनूठा टूर्नामेंट, इनाम 35 लाख

नई दिल्ली:

शूटिंग जैसे खेलों में प्रतियोगिता की कमी, इनामी रकम और मीडिया में तवज्जो न मिलने का रोना लंबे समय से चलता आ रहा है। ऐसे में कुछ ओलिंपिक शूटर्स ने एक अनूठे टूर्नामेंट का आयोजन कर युवा शूटर्स को नया मंच दिया।

पिछले हफ्ते दिल्ली के कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में एक अलग तरह का मेला लगा रहा। निशाना लगाते 300 शूटर्स इस रेंज की रौनक बढ़ाते रहे।
 
पूर्व वर्ल्ड चैंपियन मानवजित सिंह संधू, पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 शूटर रोंजन सोढी, महिला निशानेबाज ओलिंपियन शगुन चौधरी, शूटिंग संघ के अध्यक्ष रनि सिंह और आम भारतीय शूटर यह सब एक प्लेटफॉर्म पर निशाना लगाते रहे। इनमें से कोई एक−दूसरे को मात देकर इनाम जीत सकता था। भारत में अपनी तरह का यह अनूठा टूर्नामेंट था।

निशानेबाज 35 लाख की प्राइजमनी वाले इस टूर्नामेंट में एक−दूसरे को टक्कर देकर इनाम के अलावा अपना हौसला भी बढ़ाते रहे। टूर्नामेंट में एक युवा और आम शूटर भी जीत हासिल कर सके इसलिए इसमें गॉल्फ की तरह हैंडिकैप सिस्टम लागू किया गया। दरअसल यूरोप की तरह ही भारत में रोंजन सोढी और मानवजीत संधू जैसे शूटर्स ने इस तरह करीब 300 शूटर्स को इंडियन शॉटगन ओपन में एक फ्लेटफॉर्म पर निशाना लगाने का मौका दिया।
 
रोंजन सोढी कहते हैं कि एक तो भारत में कोई प्राइज मनी टूर्नामेंट नहीं है इसलिए हमने सोचा कि अगर इस तरह के टूर्नामेंट का आयोजन होता है तो शूटिंग को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। दूसरे हमने इसमें हैंडिकैप सिस्टम लागू किया ताकि युवा शूटर्स को जीत का मौका मिले और अंतरराष्ट्रीय शूटर्स पर अपने नाम के मुताबिक, शूट करने का दबाव भी हो।

मानवजित सिंह संधू कहते हैं कि क्रिकेट में आईपीएल कितना अच्छा प्लेटफॉर्म है, ऐसा दूसरे खेलों में बहुत कम है इसलिए हम 35 लाख का शूटिंग का टूर्नामेंट लेकर आए हैं। यहां करीब 100 शूटर्स को इनाम मिलना तय है।  

ओलिंपिक स्तर पर निशाना लगाने वाले मौजूदा और पूर्व शूटर मानते हैं कि इससे युवाओं में खेल की लोकप्रियता तो बढ़ेगी ही दूसरे कई फायदे होंगे। भारत की पहली महिला ओलिंपियन ट्रैप शूटर शगुन चौधरी कहती हैं इससे शूटिंग का रुतबा जरूर बढ़ेगा। इससे आम लोगों में भी शूटिंग का माहौल बनेगा। इसके लिए ज्यादा लोग दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
 
चार बार के ओलिंपियन ट्रैप शूटर मानशेर सिंह कहते हैं कि इस तरह की शूटिंग में मंझे हुए शूटर्स को एक फायदा यह है कि वह इस दौरान एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं।

शूटिंग को लेकर प्राइजमनी टूर्नामेंट का आयोजन इतना भी आसान नहीं। 35 लाख की इनामी राशि वाले टूर्नामेंट के लिए रोंजन और मानवजीत को पापड़ बेलने पड़ गए। आखिरी दिन तेज बारिश में मुश्किल तो हुई, लेकिन निशानेबाजों की गन आग उगलती रही। कई सूटर्स इसके भी फायदे देखते हैं।

नेशनल चैंपियन शूटर श्रेयासि सिंह कहती हैं  कि 2012 में लंदन ओलिंपिक में रोंजन सोढी की शूटिंग के वक्त दर्शकों ने शोर मचा कर
उनका ध्यान बंटा दिया और उसका उन्हें बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। इस वक्त यहां मौसम खराब है और हूटिंग भी हो रही है। यहां
मुश्किल हालात में शूटिंग का अच्छा अभ्यास हो सकता है।

इंडियन शॉटगन ओपन के सह-प्रायोजक मानव रचना यूनिवर्सिटी के अमित भल्ला कहते हैं कि किसी भी खेल को अहम बनाने में मीडिया का रोल अहम होता है। मीडिया को इन खेलों को तवज्जो देनी चाहिए, क्योंकि ये खेल आपको ओलिंपिक में मेडल हासिल करवाते हैं, लेकिन वह यह मानते हैं कि इस तरह के टूर्नामेंट का लाइव टेलिकास्ट हो तो इन खेलों को वाकई बहुत फायदा होगा।

इतना जरूर हुआ कि हिस्सा लेने वाले शूटर्स ने इस टूर्नामेंट की खूब तारीफ की, लेकिन टेलीविजन मीडिया के लिए यह टूर्नामेंट फिर भी हाशिये पर रहा। एक अलग और शानदार टूर्नामेंट के आयोजन के बावजूद अक्सर इन खेलों की हालत जंगल में मोर नाचा किसने देखा जैसी कहावत बन जाती है।

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अधिकारियों और आयोजकों को यह समझने की जरूरत है कि लाइव टेलीकास्ट मीडिया और बाज़ार का मसला एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है और इनमें से किसी एक के नहीं होने से इसकी लोकप्रियता पर असर जरूर पड़ता है।