खास बातें
- ऑस्ट्रेलिया में चल रही त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट शृंखला के दौरान एक बार फिर खेल भावना को लेकर बहस छिड़ी और इस बार भी इसका केंद्र भारत ही था।
सिडनी: ऑस्ट्रेलिया में चल रही त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट शृंखला के दौरान एक बार फिर खेल भावना को लेकर बहस छिड़ी और इस बार भी इसका केंद्र भारत ही था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अहम मुकाबले में मेजबान टीम की पारी के 24वें ओवर में यह वाकया हुआ। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर इस समय चार विकेट पर 119 रन था। विकेटकीपर बल्लेबाज मैथ्यू वेड रविचंद्रन अश्विन की ओवर की अंतिम गेंद पर एक रन के लिए दौड़ पड़े। गेंदबाजी छोर पर खड़े डेविड हसी भी रन के लिए दौड़े। रन पूरा करते समय डेविड हसी ने गेंद को अपने लगने से बचाने के लिए इसे अपने दाहिने हाथ से रोक दिया।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आईसीसी के नियमों के तहत क्षेत्ररक्षण में बाधा के नियम के तहत अपील की। मैदानी अंपायरों बिली बोडेन और साइमन टोफेल ने इस मामले को तीसरे अंपायर साइमन फ्राइ के पास भेजा, जिन्होंने बल्लेबाज के पक्ष में फैसला सुनाया। उनका मानना था कि बल्लेबाज विकेट पर गेंद लगने से बचाने की जगह खुद को बचाने का प्रयास कर रहा था।
धोनी इस फैसले से नाखुश दिखे और उन्होंने अंपायरों से कुछ देर बात भी की। इससे पहले श्रीलंका के खिलाफ पिछले मैच में भी भारत रन आउट ड्रामे का हिस्सा रहा था, जब अश्विन ने गेंदबाजी छोर पर लाहिरू थिरिमाने को रन आउट कर दिया था, जो चेतावनी देने के बावजूद गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले ही क्रीज छोड़कर काफी आगे निकल रहे थे। तब भारत के कार्यवाहक कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने अपील वापस लेने का फैसला किया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि यह खेल भावना के विपरीत है।