विमल मोहन की कलम से : जीत के लिए तरस गई है टीम इंडिया

नई दिल्ली:

करीब 50 दिनों के इस दौरे पर टीम इंडिया अब तक जीत की तलाश में है। मुश्किल ये है कि बल्लेबाज़ अपनी ग़लतियां नहीं सुधार रहे और गेंदबाज़ अपना स्तर बेहतर नहीं कर पा रहे। नंबर दो पर हम जानने की कोशिश करते हैं कि टीम की मुश्किलें क्यों नहीं ख़त्म हो रहीं।

ऐतिहासिक मेलबर्न टेस्ट के बाद रवि शास्त्री अपने आलोचकों पर दहाड़ते नज़र आए थे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा था, नतीजा कुछ भी हो मुझे फ़र्क नहीं पड़ता। मैं नहीं मानता कि खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में अपनी हाज़िरी लगाने के इरादे से खेलें तो ठीक है। उन्हें जीत के इरादे से खेलना चाहिए।

टीम इंडिया के डायरेक्टर और पूर्व कप्तान रवि शास्त्री इन दिनों टीम के साथ नहीं हैं, लेकिन जो बातें उन्होंने टेस्ट सीरीज़ के दौरान कहीं उसे लेकर फ़िक्र बरक़रार है। टीम इंडिया की फ़िक्र बढ़ती ही दिख रही है ख़त्म नहीं हुई है। ब्रिसबेन में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हार के बाद कप्तान एमएस धोनी ने कहा कि टीम को स्विच ऑन होने की ज़रूरत है यानी टीम के लिए अलार्म की घंटी बजनी शुरू हो गई है।

कार्ल्टन ट्राएंगुलर सीरीज़ में टीम इंडिया के लिए दोनों ही मैच टीम की कमज़ोरियों को बड़ा बनाती दिखी है। ये मुश्किलें ऐसी हैं, जो आम क्रिकेट फ़ैन्स भी समझ रहा है। विपक्षी टीमों ने लगता है कई भारतीय बल्लेबाज़ों को अच्छी तरह डिकोड कर लिया है।

शिखर धवन टीम के साथ अपनी मुश्किलें बढ़ाते जा रहे हैं। इसके अलावा पूर्व टेस्ट क्रिकेटर मदनलाल जैसे एक्सपर्ट खुलकर कह रहे हैं कि अजिंक्य रहाणे और विराट कोहली जैसे बल्लेबाज़ बैटिंग ऑर्डर को लेकर नाखुश हैं।

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टीम इंडिया के गेंदबाज़ों की मुश्किलें टेस्ट के बाद वनडे में भी बरक़रार हैं। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ दो मैचों में कुल मिलाकर गेंदबाज़ों के नाम छह विकेट रहे हैं। वर्ल्ड कप सिर पर है और टीम के प्रवक्ता चाहे टीम की कितनी भी तरफ़दारी करें टीम इंडिया को जीत की सख़्त ज़रूरत है।