यह ख़बर 25 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

विमल मोहन की कलम से : 'एंग्री यंगमैन' की टीम इंडिया

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

वैसे कई एक्सपर्ट्स की नज़र में विराट कोहली टीम इंडिया के सबसे टैलेंटेड खिलाड़ी हैं। लेकिन कुछ ऐसे ही तेवर उनसे पहले कई दूसरे खिलाड़ी भी दिखाते रहे हैं। टीम−इंडिया के 'एंग्री यंगमेन' पहले भी कामयाब रहे हैं और आने वाले वर्ल्ड कप में भी आक्रमण की उम्मीद है।

विराट कोहली का तेवर भारतीय क्रिकेट का ट्रेड मार्क बन गया है। युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी कोहली के इस तेवर के कायल हैं और इसे खुले तौर पर मानने से इनकार नहीं करते। लेकिन अगर पिछले पंद्रह साल में टीम इंडिया का तेवर बदला है तो टीम को इस रंग में ढालने का श्रेय सौरव गांगुली को जाता है।

कप्तान गांगुली खुद भी कई दफ़ा अपने तेवर से विपक्षी टीम पर हमले बोलते रहे और अपनी टीम को विपक्षी खिलाड़ियों की आंखों में आंखें डालकर जवाब देने को कहते रहे। इसलिए टीम इंडिया ने पिछले डेढ़ दशक में कई ऐसे मैच अपने कब्ज़े में किए जब टीम हार की ओर बढ़ती नज़र आ रही थी।

युवराज जिस आक्रामकता का ज़िक्र कोहली के लिए करते हैं, वह आक्रामकता वह खुद भी कई बार दिखा चुके हैं। चाहे नैटवेस्ट सीरीज़ का फ़ाइनल हो या वर्ल्ड टी20 में स्टुअर्ट ब्रॉड को छह छक्के लगाने का कारनामा हो, युवराज ने अंपने अंदाज़ से मैच भी जीते और फ़ैन्स के दिल भी।

सौरव गांगुली के जमाए गए हुनर को मौजूदा कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने टीम इंडिया की आदत में बदल डाली। यही वजह है कि अब टीम के एक नहीं कई खिलाड़ी मौक़े पर एंग्री यंग मैन का रोल अदा करते हैं।

इन दिनों सुरेश रैना कई बार टीम इंडिया के लिए बार अपने आक्रामक रवैये के सहारे टीम इंडिया की नैया पार लगाते दिखे हैं। ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा भी कई बार कप्तान धोनी का ख़ास हथियार साबित हुए हैं।

इसी साल जुलाई महीने में लार्ड्स टेस्ट के दौरान रविंद्र जडेजा की 68 रन की अहम पारी इसी तेवर का एक और सबूत थी। और फिर अर्द्धशतकीय पारी के बाद बल्ले को नानचाकू की तरह बल्ले को घुमाने के उनके अंदाज़ को कौन भूल सकता है। ड्रेसिंग रूम में कप्तान धोनी भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।

खुद कप्तान धोनी भी इसी तेवर के लिए जाने जाते हैं। मुश्किल हालात में लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी ने अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी से कई बार मैच का रुख़ बदला है।

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दरअसल टीम इंडिया एंग्री यंगमैन की तरह खेल कर कई बार बुलंदियां छू चुकी है। अगर 2015 वर्ल्ड कप तक टीम इंडिया के इस तेवर की धार कम नहीं पड़ी, तो फ़ैन्स अगले वर्ल्ड कप में भी टीम को सर आंखों पर बिठा लेंगे।