नागपुर नहीं, कोटला जैसी जीत ही बनाती है टीम इंडिया को रियल चैंपियन

नागपुर नहीं, कोटला जैसी जीत ही बनाती है टीम इंडिया को रियल चैंपियन

टीम इंडिया की कोटला की जीत शानदार रही (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

लगभग पूरे समय पिच विवाद में उलझी रही टेस्‍ट सीरीज की यह आदर्श समाप्ति थी। दिल्‍ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर 337 रन की इस जीत के सहारे टीम इंडिया ने दुनिया को दिखा दिया कि वह हद से ज्‍यादा स्पिन फ्रेंडली विकेट पर ही नहीं, स्‍पोर्टिंग विकेट पर भी जीत हासिल करना जानती है। कोटला की इस जीत से विदेशों के उन क्रिकेटरों और समीक्षकों की जुबान पर निश्चित रूप से 'ताला' लग जाएगा, जो टीम इंडिया को महज स्पिन विकेट का ही शेर मानते थे। यह जीत न केवल विराट कोहली के 'रणबांकुरों' बल्कि भारतीय खेल प्रशंसकों के दिल को सुकून पहुंचाने वाली है। खास बात यह है कि यह जीत टीम इंडिया की टेस्‍ट रैकिंग को भी बेहतर बना देगी।
 
आखिरी तक बल्‍लेबाजों के लिए भी अनुकूल रहा विकेट
मैच के पांचों दिन के खेल पर नजर डालें तो साफ है कि विकेट आखिरी दिन तक बल्‍लेबाजों के लिए भी सपोर्टिव रहा। इसने बल्‍लेबाजों और गेंदबाजों, दोनों की समान रूप से मदद की। दरअसल यही क्रिकेट के खेल की खासियत है। प्‍लानिंग के लिहाज से देखें, तो टीम इंडिया मेहमान टीम से बेहतर साबित हुई। विपक्षी टीम के हर बल्‍लेबाज के खिलाफ उसके पास रणनीति रही। भारतीय स्पिनरों के हर मैच में निर्णायक साबित होने को छोड़ दें तो तेज गेंदबाज उमेश यादव और ईशांत शर्मा की गेंदबाजी इस मैच का सुकून भरा पहलू रही। टीम इंडिया के पेस अटैक को अनुशासित गेंदबाजी करते देखना वाकई दुर्लभ क्षण होता है। ईशांत भले ही विकेट के मामले में अनलकी रहे, लेकिन उन्‍होंने अच्‍छी गति और लाइन-लेंथ से गेंदबाजी की और बल्‍लेबाजों को कोई रियायत नहीं लेने दी।
 
अश्विन के साथ जडेजा को भी दें श्रेय
गुजरात के क्रिकेट रवींद्र जडेजा के प्रति भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का रवैया एक हद तक 'असहिष्‍णु' रहा है। बेशक उन्‍होंने अब तक बल्‍लेबाजी की अपनी प्रतिभा के साथ न्‍याय नहीं किया है, लेकिन इस सीरीज में अश्विन के साथ उन्हें टीम इंडिया की जीत का शिल्‍पकार माना जा सकता है। कोटला पर दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी के दौरान भी 'सर जडेजा' के दो विकेट भारतीय जीत में निर्णायक रहे। उन्‍होंने यह विकेट उस समय लिए जब अमला और डुप्‍लेसी की जोड़ी टीम इंडिया की जीत की राह में रोड़ा बन चुकी थी। जीत में इन दोनों विकेटों को कम करके नहीं आंका जा सकता। इसके अलावा पहली पारी में उन्‍होंने मात्र 30 रन देकर पांच विकेट झटकते हुए  दक्षिण अफ्रीकी खेमे में दहशत फैलाई थी।

टेस्‍ट में जडेजा का गेंदबाजी रिकॉर्ड प्रभावशाली है। 16 टेस्‍ट में करीब 23 के औसत से वे 68 विकेट अपने नाम कर चुके हैं। इस सीरीज में भी अश्विन के आदर्श सहयोगी की भूमिका निभाते हुए उन्‍होंने 23 विकेट झटके, लेकिन दुर्भाग्‍यवश उनकी सफलता से ज्‍यादा उनकी नाकामी चर्चा में रहती है। अजिंक्‍य रहाणे का फिर फॉर्म में लौटना टीम इंडिया के लिए अच्‍छा संकेत है।
 
'चोकर्स' का टैग कब हटा पाएगा दक्षिण अफ्रीका
जहां तक दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो साफ है कि एशियाई उप महाद्वीप में टेस्‍ट में जीत हासिल करने के लिए उसे काफी कुछ करना है। टीम पर लगा 'चोकर्स' का टैग है कि हटने का नाम नहीं ले रहा। दक्षिण अफ्रीका को अब उन टीमों में शुमार किया जाने लगा है कि परिस्थितियां पक्ष में होने की स्थिति में तो बढ़-चढ़कर प्रदर्शन करती हैं, लेकिन प्रतिकूल होते ही इस टीम के खिलाडि़यों के हाथ-पैर फूलने लगते हैं।

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पूरी सीरीज में अमूमन स्पिन के मददगार विकेट पर यह बात खुलकर साबित हुई। यही एक नकारात्‍मक पक्ष उसे ऑस्‍ट्रेलिया जैसी टीम की श्रेणी से अलग कर देता है। सीरीज के परिणाम से साफ है कि दक्षिण अफ्रीकी टीम के सामने अभी कई सवाल खड़े हैं जिनका जवाब देना इसके लिए आसान नहीं है...।