यह ख़बर 19 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

भारत को लंबे अर्से से परेशान करता रहा है टेल का डंक

ब्रिस्बेट टेस्ट के तीसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई टेलएंडर मिचेल जॉनसन ने 88 रन बनाए

नई दिल्ली:

पुछल्ले बल्लेबाज़ लंबे अर्से से भारतीय गेंदबाज़ों को परेशान करते रहे हैं। ब्रिसबेन टेस्ट में यही कहानी फिर से दुहराई गई। एक पुरानी कहावत है कि पूंछ के डंक में ज़्यादा ज़हर होता है। ब्रिसबेन में मेज़बान टीम के टेलएंडर्स ने साबित कर दिया कि उनकी बल्लेबाज़ी टीम इंडिया को ज़्यादा खलने वाली है।

ब्रिसबेन टेस्ट के तीसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों ने सातवें विकेट के लिए 148 रन जोड़े तो नौवें विकेट के लिए 56 रन और आखिरी विकेट के लिए 51 रन और यहीं सारा गेम बदल गया।

टेलएंडर्स भारतीय गेंदबाज़ों को लंबे समय से क्यों परेशान करते रहे हैं ये बड़ा सवाल है। पुछल्ले बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ भारत का रिकॉर्ड बेहद ख़राब रहा है, ख़ासकर 2011 के बाद।

पुछल्लों के ख़िलाफ़ ये आंकड़ा किसी भी भारतीय क्रिकेट फ़ैन को परेशान कर सकता है। साल 2011 के बाद भारतीय गेंदबाज़ आठवें, नौवें और दसवें विकेट को आउट करने में हमेशा जूझते रहे हैं।

आंकड़ों के मुताबिक आखिरी तीन विकेटों को आउट करने में द. अफ़्रीकी गेंदबाज़ों को 45 रन खर्चने पड़े, जबकि ऑस्ट्रेलिया को 50 रन। भारत टेस्ट खेलने वाले देशों की इस लिस्ट में आखिरी नंबर पर है। यानी भारत का रिकॉर्ड न्यूज़ीलैंड, पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज़, ज़िंबाब्वे, इंग्लैंड, श्रीलंका और यहां तक कि बांग्लादेश से भी ख़राब है। भारतीय बल्लेबाज़ों ने तीन टेलएंडर्स को आउट करने में पिछले तीन सालों में औसतन 84 रन खर्चे हैं।

आंकड़ों में ये कहानी कुछ ऐसी दिखती है:

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     देश               रन
1. द. अफ़्रीका      45
2. ऑस्ट्रेलिया      50
3. न्यूज़ीलैंड        54
4. पाकिस्तान      56
5. वेस्ट इंडीज़      59
6. ज़िम्बाब्वे        59
7. इंग्लैंड             67
8. श्रीलंका           76
9. बांग्लादेश        83
10. भारत           84