सिर्फ 36 साल की उम्र में इस गेंदबाज की हुई थी मौत लेकिन कायम किए कई वर्ल्ड रिकॉर्ड

सिर्फ 36 साल की उम्र में इस गेंदबाज की हुई थी मौत लेकिन कायम किए कई वर्ल्ड रिकॉर्ड

36 की उम्र में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे जॉर्ज लोहमैन.

खास बातें

  • पहले क्रिकेटर ज्यादा उम्र तक क्रिकेट खेला करते थे
  • जॉर्ज लोहमैन ने कायम किए कई वर्ल्ड रिकॉर्ड
  • 293 प्रथम श्रेणी के मैचों में 1841 विकेट लिए
नई दिल्ली:

आज जब कोई 40 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलता है तो कई सवाल खड़े किए जाते हैं. लेकिन एक समय ऐसा था जब क्रिकेटर ज्यादा उम्र तक क्रिकेट खेला करते थे. 50 या इससे ज्यादा उम्र के खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेले चुके है. वेस्टइंडीज के विल्फ्रेड रोडेस 52 साल की उम्र तक क्रिकेट खेले थे. 31 साल लंबे क्रिकेट करियर में वह सिर्फ 58 टेस्ट मैच खेल पाए थे.

ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो 50 साल से ज्यादा उम्र के बाद भी क्रिकेट खेलते रहे हैं. पुराने जमाने में इतनी ज्यादा उम्र तक क्रिकेट खेलने की जो वजह थी वह थी क्रिकेटरों की कमी और एक साल में कम मैच. आजकल एक साल में करीब 12 से 14 टेस्ट मैच खेले जाते हैं. लेकिन पुराने जमाने में दो या तीन टेस्ट मैच खेले जाते थे. जब मैच ही इतने कम होते थे तो क्रिकेटर जल्दी रिटायर होना नहीं चाहते थे.  

प्रथम श्रेणी मैचों में अच्छा प्रदर्शन  
उम्र की बात इसलिए हो रही है क्योंकि आज एक ऐसे क्रिकेटर की बात करने जा रहे हैं जिसकी मौत सिर्फ 36 साल की उम्र में हो गई थी. लेकिन इस क्रिकेटर ने अपने टेस्ट करियर में कई ऐसे शानदार वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं जो आजतक कायम हैं. जिस क्रिकेटर की बात हो रही है उसका नाम है जॉर्ज लोहमैन. सन 1865 में लोहमैन का जन्म इंग्लैंड में हुआ था. साल 1884 में उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू किया था. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन की वजह से 21 साल की उम्र में 1886 में उन्हें इंग्लैंड टीम में मौका मिला. लोहमैन ने 293 प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए 1841 विकेट लिए थे.

...फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए अपने पहले दो टेस्ट मैचों में लोहमैन कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. इन दोनों मैचों में उन्हें सिर्फ एक ही विकेट मिला था. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट में काफी शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने 12 विकेट हासिल किए थे. फिर लोहमैन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.  हर मैच में उनका प्रदर्शन बेहतर होता गया और वे विकेट लेते गए. इस तरह लेहमैन ने अपने क्रिकेट करियर में सिर्फ 18 मैच खेलते हुए 112 विकेट हासिल किए. वर्ष 1896 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ एक मैच में 15 विकेट उनके टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.

तेजी से 100 विकेट लेने में मामले में वर्ल्ड रिकॉर्ड
टेस्ट मैचों में तेजी से 100 विकेट लेने के मामले में जॉर्ज लोहमैन ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने सिर्फ 16 मैचों में 100 विकेट लेने का गौरव हासिल किया था जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. 120 सालों से यह रिकॉर्ड नहीं टूट पाया है. लोहमैन ने अपने टेस्ट करियर में पांच बार दस या दस से ज्यादा विकेट और नौ बार पांच या पांच से ज्यादा विकेट लिए. तेजी से 100 विकेट लेने के मामले में चार्ली टर्नर दूसरे स्थान पर हैं जबकि सिडनी बर्न्स तीसरे स्थान पर. इन दोनों खिलाड़ियों ने 100 विकेट लेने के लिए 17 मैचों का सहारा लिया.

स्ट्राइक रेट मामले लोहमैन का वर्ल्ड रिकॉर्ड  
गेंदबाजी में स्ट्राइक रेट के मामले में जॉर्ज लोहमैन पहले स्थान पर हैं. गेंदबाजी में स्ट्राइक रेट का मतलब है कि एक विकेट लेने के लिए गेंदबाज ने कितनी गेंदों का सहारा लिया. लोहमैन का गेंदबाजी स्ट्राइक रेट 34.1 है यानी एक विकेट लेने के लिए लोहमैन ने करीब 34 गेंदों का सहारा लिया. इस मामले में दूसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया के जेजे फेरिस हैं और तीसरे स्थान पर न्यूज़ीलैंड के शेन बॉन्ड. अगर भारतीय गेंदबाजों की बात की जाए तो गेंदबाजी में स्ट्राइक रेट के मामले में रविचंद्रन अश्विन सबसे आगे हैं. अश्विन का गेंदबाजी स्ट्राइक रेट 49.4 है.   

गेंदबाजी में औसत के मामले में भी वर्ल्ड रिकॉर्ड
टेस्ट क्रिकेट में अगर गेंदबाजी में औसत की बात की जाए तो इस मामले में भी लोहमैन रिकॉर्ड बनाते हुए पहले स्थान पर हैं. गेंदबाजी औसत का मतलब होता है एक विकेट लेने के लिए गेंदबाज ने कितने रन दिए हैं. गेंदबाजी में लोहमैन का औसत 10.75 है यानी एक विकेट लेने के लिए उन्होंने करीब 11 रन दिए हैं.  इस मामले में दूसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया के जेजे फेरिस हैं जिनका औसत 12.70 है और तीसरे स्थान पर 15.54 के साथ विल्लम बर्न्स हैं.

कैसे हुई लोहमैन की मौत
लोहमैन की मौत 36 साल की उम्र में टीबी की बीमारी के वजह से हुई थी. उस वक्त टीबी की बीमारी काफी खतरनाक मानी जाती था और इसके इलाज की ज्यादा सुविधाएं भी नहीं थीं. इस बीमारी के इलाज के लिए उन्हें साउथ अफ्रीका भी जाना पड़ा था. इस बीमारी के वजह से उन्हें दो साल तक क्रिकेट से भी दूर रहना पड़ा था.


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