'वीरू' बर्थडे स्‍पेशल : वह एक सीरीज जिसमें सचिन नहीं खेले लेकिन उसने बदल दी सहवाग की किस्‍मत

'वीरू' बर्थडे स्‍पेशल : वह एक सीरीज जिसमें सचिन नहीं खेले लेकिन उसने बदल दी सहवाग की किस्‍मत

वीरेंद्र सहवाग (फाइल फोटो)

यह कुछ दिन पहले की बात है जब वीरेंद्र सहवाग ने ट्विटर के जरिये सचिन तेंदुलकर से कमेंट्री के लिए हौसला मांगा था. सहवाग ने अपने ट्विटर पेज में लिखा था ''ओ गॉडजी, कभी-कभी कमेंटेटर्स का भी हौसला बढ़ा दिया कीजिए, थोड़ा मोटीवेशन मिल जाएगा.'' इसके जवाब में तेंदुलकर ने भी लिखा था कि ''जियो मेरे लाल. तथास्‍तु.''

इस बात का जिक्र इसलिए हो रहा है क्‍योंकि यह ट्वीट बताता है कि सचिन जैसे क्रिकेटर के लिए सहवाग के मन में कितना सम्मान है. यह सच है कि सचिन तेंदुलकर ने एक बल्लेबाज के रूप में जो नाम कमाया वह शायद ही आगे जाकर कोई कमा सके. लेकिन यह भी सच है कुछ मामलों में सहवाग जिस मुकाम तक पहुंचे सचिन वहां नहीं पहुंच पाए. लेकिन फिर भी सहवाग द्वारा, सचिन को भगवान के नाम से पुकारना कोई छोटी बात नहीं है.

जब सचिन से नहीं हो पाई मुलाकात
क़िस्‍सा सिर्फ यहीं ख़त्म नहीं होता है. सहवाग और सचिन तेंदुलकर का क्रिकेटीय रिश्ता काफी गहरा है. सहवाग ने जब अपना क्रिकेट करियर शुरू किया तब तक सचिन तेंदुलकर एक सलामी बल्लेबाज के रूप में नाम कमा चुके थे. सलामी बल्लेबाज के रूप में सौरभ गांगुली और सचिन तेंदुलकर की जोड़ी की काफी चर्चा हो रही थी. एक तरफ यह जोड़ी नाम कमा रही थी तो दूसरी तरह सहवाग एक बल्लेबाज के रूप में विफल हो रहे थे. 1,अप्रैल 1999 को सहवाग ने अपना एकदिवसीय करियर शुरू किया. सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए सहवाग अपने पहले मैच में सिर्फ एक ही रन बना पाए थे. इस सीरीज के लिए तेंदुलकर का चयन नहीं हुआ था क्योंकि वह चोटिल थे. इसीलिए सहवाग और तेंदुलकर की मुलाकात नहीं हो पाई थी.  

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एक मैच के बाद सहवाग हो गए टीम से बाहर  
इस ख़राब प्रदर्शन के लिए सहवाग टीम से बाहर हो गए. करीब 20 महीने तक उन्हें टीम से बाहर रहना पड़ा. 2000 में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज के लिए सहवाग का टीम में चयन हुआ. पांच में से सिर्फ दो मैच में खेलने के लिए मौक़ा मिला. एक मैच में उन्हें बल्लेबाजी करने का मौक़ा नहीं मिला था जब की दूसरे मैच में सिर्फ 19 रन बना पाए थे. फिर 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज के लिए सहवाग का टीम में चयन हुआ. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु में खेले गए पहले मैच में सहवाग ने 58 रन बनाए थे. यह सहवाग का एकदिवसीय करियर का पहला अर्धशतक था. सिर्फ इतना नहीं इस मैच में सहवाग तीन विकेट लेने में भी कामयाब हुए थे. इस शानदार प्रदर्शन के लिए सहवाग को मैन ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड मिला था और यह उनके अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का पहला मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड था.

जब बनाई पहचान   
इस अर्धशतक के बाद सहवाग कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे थे. अगले 10 मैच तक सहवाग का प्रदर्शन काफी खराब रहा. इन 10 मैचों में उनका सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर सिर्फ 33 रन था. वह टीम में रहेंगे या नहीं इसे लेकर चर्चा हो रही थी. फिर अगस्त 2001 में श्रीलंका में खेले गए ट्राई सीरीज के लिए सहवाग का चयन हुआ. चोटिल होने की वजह से इस सीरीज के लिए सचिन तेंदुलकर का चयन नहीं हुआ था. यह सहवाग के लिए करो या मरो जैसी सीरीज थी. विफल का मतलब पूरी तरह टीम से बाहर और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर ख़त्म.

जब चोटिल होने की वजह से सचिन टीम में नहीं थे तो कप्तान गांगुली ने सहवाग को सलामी बल्लेबाज के रूप में मौक़ा दिया. 2 अगस्त 2001 को कोलंबो में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच खेले गए एक महत्‍वपूर्ण मैच में सलामी बल्लेबाज के रूप में सहवाग ने सिर्फ 70 गेंदों का सामना करते हुए 100 रन बनाया. यह सहवाग के एकदिवसीय करियर का पहला शतक था. सहवाग के शानदार प्रदर्शन की वजह से भारत ने इस मैच को जीता और फाइनल में पहुंचा. अब यह अहसास हो गया था कि एक सलामी बल्लेबाज के रूप में सहवाग अच्छा खेल सकते है.  

सलामी बल्लेबाज के रूप में नाम कमाया
फिर टीम में सचिन की वापसी होने के बाद सहवाग को निचले क्रम में बल्लेबाजी करनी पड़ी. लेकिन फिर 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ हुई एकदिवसीय सीरीज में सहवाग ने मैचों में गांगुली की जगह सलामी बल्लेबाज के रूप में बल्लेबाजी करने आए और लगातार दो अर्धशतक भी ठोके. अब सलामी बल्लेबाज के रूप में सहवाग नाम कमाते गए और एक सलामी  बल्लेबाज के रूप में अपना जगह पक्‍की की. कभी गांगुली, सहवाग के साथ ओपनिंग करने आते थे तो कभी सचिन. इसी तरह सहवाग ने 251 एकदिवसीय मैच खेलते हुए करीब 35 के औसत से 8273 रन बनाए जिसमे 15 शतक और 38 अर्धशतक शामिल है. वीरेंद्र सहवाग, सचिन के बाद भारत के दूसरे खिलाड़ी थे, जिन्‍होंने एकदिवसीय मैच में दोहरा शतक भी लगाया.

टेस्ट मैचों में मौका
एकदिवसीय मैचों में अच्छा प्रदर्शन की वजह से टेस्ट टीम में उन्हें मौक़ा मिला और साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपने करियर का पहला टेस्ट मैच में सहवाग ने शतक ठोकते हुए 105 रन बनाए थे. अब सहवाग पीछे मुड़कर देखने वाले नहीं थे. एकदिवसीय के साथ-साथ टेस्ट में भी अच्छे प्रदर्शन करते गए. सहवाग ने 104 टेस्ट मैच खेलते हुए करीब 49 के औसत से 8586 रन बनाए है जिसमें 23 शतक और 32 अर्धशतक शामिल हैं.

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वीरू का टेस्ट रिकॉर्ड
वीरेंद्र सहवाग भारत के पहले बल्लेबाज हैं जिन्‍होंने टेस्ट क्रिकेट में एक पारी में 300 से ज्यादा रन बनाए हैं. सिर्फ एक बार नहीं सहवाग ने दो बार यह करिश्‍मा किया है. सहवाग के अलावा भारत का कोई भी खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट में एक पारी में 300 से भी ज्यादा रन नहीं बना पाया है.अगर टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज ट्रिपल सेंचुरी की बात किया जाए तो सहवाग दुनिया के सभी बल्लेबाज़ों को पीछे छोड़ते हुए पहले स्थान पर हैं.

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ट्रिपल सेंचुरी बनाने के लिए सहवाग ने 278 गेंदों का सामना किया था और यह दुनिया की सबसे तेज ट्रिपल सेंचुरी है. इस मामले में ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन दूसरे स्थान पर हैं. टेस्ट क्रिकेट में सहवाग ने सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं. टेस्ट क्रिकेट में सहवाग का स्ट्राइक रेट 82 के करीब है और यह शानदार स्ट्राइक रेट है. स्ट्राइक रेट के मामले में भारत का कोई भी बड़ा बल्लेबाज सहवाग के आसपास नहीं है.

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