यह ख़बर 17 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

वेस्ट इंडीज की 'वापसी', श्रीलंकाई टीम करेगी भारत दौरा

मुंबई:

वेस्ट इंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) ने वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम का भारत दौरा बीच में ही रद्द कर दिया है। अब कैरेबियाई टीम धर्मशाला में जारी चौथे एकदिवसीय मुकाबले के बाद स्वदेश लौट जाएगी। उधर, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के आमंत्रण पर क्रिकेट श्रीलंका (एसएलसी) ने पांच एकदिवसीय मैचों के लिए अपनी टीम भारत भेजने की पुष्टि कर दी है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने बयान जारी कर डब्ल्यूआईसीबी के इस फैसले पर हैरानी जाहिर की है। कैरेबियाई बोर्ड ने कहा है कि खिलाड़ियों के साथ विवाद को लेकर वह यह दौरा बीच में ही रद्द कर रहा है।

धर्मशाला के बाद कैरेबियाई टीम को कोलकाता में पांचवां एकदिवसीय मैच खेलना था। इसके बाद कटक में एकमात्र टी-20 मैच खेला जाना था और फिर दो मैचों की टेस्ट श्रंखला खेलनी जानी थी। कैरेबियाई बोर्ड ने बीसीसीआई को इस बात की जानकारी दी है कि उसके खिलाड़ी तत्काल प्रभाव से स्वदेश लौट आएंगे।

बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने अपने बयान में कहा, 'बीसीसीआई कैरेबियाई बोर्ड के इस फैसले पर हैरान है। हमें यह कहते हुए निराशा हो रही है कि कैरेबियाई बोर्ड के इस फैसले से बीसीसीआई के साथ उसके सम्बंध खराब होंगे।'

बीसीसीआई ने कहा है कि वह इस मामले को लेकर आईसीसी से बात करेगा, जिससे कि खेल को किसी प्रकार का नुकसान न हो।

एसएलसी सचिव निशांत रणातुंगा ने साफ किया है कि उन्होंने बीसीसीआई के निमंत्रण पर सशर्त अपनी टीम को पांच मैचों की वनडे सीरीज के लिए भेजने का फैसला किया है। वनडे सीरीज 1-15 नवंबर के बीच होगी। इस श्रृंखला का कार्यक्रम बीसीसीआई जारी करेगा।

रणातुंगा ने कहा,  'भारत में हमारे सामने एक टी-20 मैच खेलना क प्रस्ताव रखा था, लेकिन हमने फैसला किया कि चूंकी विश्व कप काफी नजदीक है, ऐसे में हमारे लिए भारत के साथ पांच मैचों की वनडे सीरीज खेलना अच्छा रहेगा।'

श्रीलंकाई टीम लगभग पांच साल के बाद पहली बार भारत दौरा करेगी।

गौरतलब है कि डब्ल्यूआईसीबी और कैरेबियाई खिलाड़ियों के बीच का विवाद उस समय और गहरा गया, जब धर्मशाला एकदिवसीय मैच में टॉस के दौरान सभी खिलाड़ी अपने कप्तान के साथ खड़े नजर आए।

टॉस जीतने के बाद कप्तान ड्वायन ब्रावो ने साफ-साफ कहा था, "मैं और पूरी टीम एक साथ हैं। यह दौरा हमारे लिए काफी कठिन रहा है। हम नहीं चाहते कि हमारे कारण क्रिकेट का खेल या हमारे प्रशंसक प्रभावित हों लेकिन फिर भी यह हमारे लिए फैसला लेने का समय है। मेरे खिलाड़ी जो लड़ाई लड़ रहे हैं, इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।'

ब्रावो का यह बयान और टॉस के समय पूरी टीम का टीवी कैमरे के सामने होना निश्चित रूप से डब्ल्यूआईसीबी के अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बना। इससे पहले कोच्चि एकदिवसीय का कैरेबियाई खिलाड़ियों द्वारा बहिष्कार किए जाने की आशंकाओं की खबर ने भी खूब चर्चा बटोरी थी।

डब्ल्यूआईसीबी ने गुरुवार को ही यह साफ किया था कि वेस्टइंडीज प्लेयर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूआईपीए) ही खिलाड़ियों के आधिकारिक एजेंट होंगे और मौजूदा गतिरोध को दूर करने के लिए वह सीधे खिलाड़ियो से बात नहीं करेगा।

दरअसल, कैरेबियाई खिलाड़ी वेतन को लेकर बोर्ड से हुए नए क्लेक्टिव बार्गेनिंग एग्रीमेंट (सीबीए)/एमओयू से नाराज हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि वह नए शर्तो से अनभिज्ञ थे और डब्ल्यूआईपीए ने भी उन्हें अंधेरे में रखा।

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खिलाड़ियों की मांग है कि बोर्ड उनसे सीधे बात करे और डब्ल्यूआईपीए की दखल को खत्म करे। साथ ही खिलाड़ियों ने पुराने सीबीए/एमओयू पर लौटने की भी इच्छा जताई है।