इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जिस एशेज ट्रॉफी के लिए भिड़ते हैं आखिर वो है क्या?

इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जिस एशेज ट्रॉफी के लिए भिड़ते हैं आखिर वो है क्या?

नई दिल्ली:

ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज सीरीज किसी जंग से कम नहीं होती। संभवत: दुनिया के सबसे पुराने और चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी इन दोनों टेस्ट खेलने वाले देशों के खिलाड़ी इस सीरीज पर कब्जा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। इस सीरीज का जितना इंतजार इन दोनों देशों और उनके खिलाड़ियों को होता है उतना ही इंतजार दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमियों को भी रहता है। तो आखिर ऐसा क्या है एशेज टेस्ट सीरीज में जो इसे कई मायनों में भारत-पाकिस्तान के वनडे मैचों से भी ज्यादा रोमांचक बना देता है।

क्या है एशेज?
एशेज शब्द की उत्पत्ति की कहानी बड़ी ही रोचक है। असल में साल 1882 में ओवल के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को हरा दिया। ध्यान रहे कि यह इंग्लैंड की धरती पर ऑस्ट्रेलिया की पहली जीत थी। इस हार को इंग्लैंड में कोई भी नहीं पचा पाया, शायद इसीलिए जनभावनाओं के अनुरूप 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' अखबार में एक व्यंग्यात्मक ऑब्यूचरी छापी गई। इसमें बताया गया कि इंग्लिश क्रिकेट की मौत हो गई है, उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा और राख (Ashes) को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा।

इसके बाद 1882-83 में जब इंग्लैंड टेस्ट सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया गई दो उस समय कहा गया कि आईवो ब्लिग की कप्तानी में इंग्लिश टीम उसी राख (Ashes) को वापस लाने के लिए जा रही है। इंग्लिश मीडिया ने उस दौरे को एशेज को वापस हासिल करने के दौरे के रूप में परिभाषित किया।

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई इंग्लैंड की टीम ने 3 में से 2 टेस्ट जीत लिए तो मेलबोर्न में फ्लोरेंस मर्फी व अन्य महिलाओं के एक दल ने इंग्लिश कप्तान ब्लिग को एक छोटा सा 'अस्थिकलश' दिया। इस 'अस्थिकलश' जैसी ट्रॉफी के अंदर क्रिकेट बेल्स की राख थी और कहा गया कि यह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की राख थी। हालांकि माना जाता है कि ब्लिग को जो 'अस्थिकलश' दिया गया था, वह व्यक्तिगत उपहार था। उसे कभी भी आधिकारिक तौर पर एशेज सीरीज की ट्रॉफी नहीं माना गया, लेकिन सीरीज जीतने पर जरूर विजेता कप्तान और उसकी टीम 1882-83 की उसी 'अस्थिकलश' जैसी चीज की प्रतिकृति को चूमता और लहराता है।

मौजूदा एशेज 'अस्थिकलश' 15 सेंटीमीटर यानी 6 ईंच ऊंची है और माना जाता है कि इसमें क्रिकेट बेल्स को जलाने के बाद उनकी राख भरी गई है। 1998-99 से इसी 'अस्थिकलश' की क्रिश्टल प्रतिकृति को एशेज की आधिकारिक ट्रॉफी के तौर पर दिया जाता है।

आम तौर पर हर बार एशेज सीरीज में 5 टेस्ट मैच खेले जाते हैं। इस सीरीज को 4 साल में कम से कम एक बार जरूर खेला जाता है और बारी-बारी से यह दोनों देशों में खेली जाती है। साल 2013 इसमें अपवाद है, इस साल एशेज के इतिहास में पहली बार लगातार दो बार ऑस्ट्रेलिया ने इस सीरीज की मेजबानी की। दोनों टीमें इस सीरीज में किस स्तर का क्रिकेट खेलती हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया ने 32 बार ट्रॉफी जीती है तो इंग्लैंड ने भी 31 बार सीरीज अपने नाम की है।

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एशेज में सबसे ज्यादा 5,028 रन बनाने का रिकॉर्ड डॉन ब्रेडमैन के नाम है और 195 विकेट लेकर शेन वार्न एशेज इतिहास में सबसे सफल गेंदबाज रहे हैं।