INDvsENG : कटक वनडे में बने कुल 747 रन, जानिए आजकल क्यों हो रही है रनों की बरसात?

INDvsENG : कटक वनडे में बने कुल 747 रन, जानिए आजकल क्यों हो रही है रनों की बरसात?

एक रोचक तथ्य यह है कि कटक मैच की दोनों पारियों में कुल 747 रन बनें..

नई दिल्ली:

भारत ने कटक वनडे इंग्लैंड को 15 रन से हराकर सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त बना ली है. भारत ने इस मैच को जीतकर सीरीज पर कब्जा जमा लिया है. एक रोचक तथ्य यह है कि कटक मैच की दोनों पारियों में कुल 747 रन बनें. रनों के मामले में ये अभी तक दूसरा सबसे बड़ा स्कोर है. इससे पहले 2009-10 के दौरान भारत-श्रीलंका के बीच राजकोट वनडे में 825 रन बने थे. पुणे में खेले सीरीज के पहले मैच में भी लगभग यही स्थिति रही थी. पुणे में भी 700 से ज्यादा रन बने थे. हाई स्कोर वाले मैच दर्शकों के लिए जरूर भरपूर मनोरंजन देते हैं लेकिन गेंदबाजों के लिए मुसीबत साबित हो रहे हैं. क्या हाई- स्कोर वाले मैच भारत में ही बन रहे हैं या पूरी दुनिया में ये ट्रेंड नजर आ रहा है.

जानिए हाई स्कोर वाले मैचों के पीछे की कहानी से जुड़े कुछ संभावित तथ्य -

सपाट विकेट तैयार करने का चलन
भारत और इंग्लैंड के बीच तीन मैचों की सीरीज के दो मैच हो चुके हैं. दोनों ही पिचों पर गेंदबाजों को कुछ खास मदद नहीं मिली. गेंदबाज के बजाय बल्लेबाजों का बोलबाला रहा. क्रिकेट जानकारों का मानना है कि वनडे में सपाट पिचों के बनाने का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है. इन परिस्थितियों में गेंद के स्विंग न होने से परेशानी होती है. गेंदबाजी इकाई के लिए यह मुश्किल का काम है, लेकिन बल्‍लेबाजों के लिए यह शानदार है क्‍यों‍कि वह अपने हिसाब से खेलते हुए बड़े से बड़ा स्‍कोर खड़ा कर सकते हैं. गेंदबाजों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ रहा है. पुणे मैच को ही देख लें. भारतीय तेज गेंदबाज उमेश याद ने जमकर रन लुटाए थे जिसका खामियाजा उन्हें कटक वनडे में चुकाना पड़ा. उन्हें इस मैच में अंतिम 11 में जगह नहीं दी गई.  

गेम के प्रति आकर्षण बढ़ाने का खेल
निश्चित रूप से क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेलों में शुमार है. इसको लोकप्रिय बनाने के लिए भी आजकल सपाट पिच बनाई जा रहीं है ताकि हाई स्कोर वाले मैच से गेम के प्रति आकर्षण को बढ़ाया जा सके. बड़े स्कोर वाले मैच नए व्यूअर जोड़ने के काम को आसान कर देते हैं.

पर्दे के पीछे रिवेन्यू की कहानी
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने 2003 में क्रिकेट की गिरती लोकप्रियता को बढ़ाने, प्रायोजकों को जोड़ने और नई पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए 20-20 ओवर के क्रिकेट के नए फॉर्मेट टी-20 को अपने यहां शुरू किया था. उसका यह प्रयोग काफी सफल रहा. इसका परिणाम यह रहा भी अन्य देशों के क्रिकेट बोर्ड ने हाथो-हाथ इस गेम को अपनाया. और राजस्व का नया जरिया ढूंढ लिया.  भारत में क्रिकेट सबसे ज्यादा लोकप्रिय गेम है. बीसीसीआई दुनिया के सबसे धनी बोर्ड में शुमार है. ऐसे में बड़े स्कोर वाले मैच सभी के लिए प्रायोजकों के लिए फायदेमंद साबित होते हैं. जितना बड़ा स्कोर वाला मैच होता है, उतनी ही उसकी चर्चा होती है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने प्रोडक्ट की पहुंच बनाने के लिए कंपनियां भारी-भरकम रकम ऐड पर खर्च करती है. अगर मैच कम स्कोर वाला नीरस होगा तो प्रायोजक बिदकेंगे. ऐसे में मेजबान देश सपाट पिच तैयार करने पर जोर दे रहे हैं.
 
टी-20 ने बदला खेल का मिजाज
आज का दौर टी-20 मैच का दौर है. बल्लेबाजों से अपेक्षा की जाती है कि वे क्रीज पर आते ही ताबड़तोड़ रन बनाएं. आज के दौर के नए खिलाड़ी कुछ हद तक इस काम को बखूबी अंजाम दे रह हैं. नए खिलाड़ी अपने आपको नई परिस्थितियों के अनुकूल ढाल डोमेस्टिक क्रिकेट में तैयारी करते हैं. टी-20 मैच की तेज क्रिकेट ने वनडे मैचों का नक्शा भी बहुत हद तक बदल दिया है. यही वजह है कि वनडे में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी और हाईस्कोर वाले मैच ज्यादा नजर आ रहे है.

लाइन लेंग्थ से भटक रहे गेंदबाज
ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा तो आपको याद ही होंगे. वे अपनी लाइन औ लेंग्थ के लिए जाने जाते थे. सपाट पिच पर भी जान डालने वाले गेंदबाज थे ग्लेन मैक्ग्रा. मैक्ग्रा का हम इसलिए जिक्र कर रहे हैं कि आज के तेज गेंदबाज सपाट पिचों पर लाइन और लेंग्थ से जल्दी भटक जाते हैं. नतीजा रन ज्यादा लुटा देते है और बड़े स्कोर वाले मैच को डिफेंड भी नहीं कर पाते हैं.


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