वर्ल्ड कप में युवराज जैसा कारनामा दोहरा पाएंगे रैना?

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

वर्ल्ड कप क्रिकेट में पाकिस्तान के खिलाफ पहले मुक़ाबले में सुरेश रैना ने महज 56 गेंदों पर 74 रन बनाकर टीम को शानदार शुरुआत दिलाई। इस पारी के बाद रैना ने कहा था कि वे इस वर्ल्ड कप में वही भूमिका निभाना चाहते हैं जो युवराज सिंह ने 2011 के वर्ल्ड कप में निभाई थी।

जाहिर है कि वर्ल्ड कप के पहले ही मुकाबले से सुरेश रैना का इरादा साफ था। टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने वर्ल्ड कप से पहले हर खिलाड़ी की भूमिका के बारे में उनसे बात की थी, लिहाजा ये जाहिर है कि धोनी का इरादा भी वही होगा कि सुरेश रैना युवराज की जगह को भर दें।

लीग मुक़ाबले के राउंड से जाहिर हो रहा है कि सुरेश रैना युवराज सिंह के कारनामे को दोहराने की राह पर चल रहे हैं। युवराज सिंह ने 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए 362 रन बनाए थे और कुल 15 विकेट चटकाए थे। 4 बार मैन ऑफ द मैच का खिताब जीतने के साथ उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया था।

वहीं, सुरेश रैना 2015 वर्ल्ड कप के लीग मुक़ाबलों के बाद 6 मैचों में 212 रन बना चुके हैं, करीब 70 की औसत से। हालांकि उन्हें गेंदबाज़ के तौर पर एक ही कामयाबी मिली है, लेकिन वे अब तक टीम इंडिया की ओर से उपयोगी गेंदबाज़ साबित हो रहे हैं।

ऑकलैंड में जिंबाब्वे के खिलाफ सुरेश रैना ने 110 रनों की नाबाद पारी खेल कर टीम को एक बेहतरीन जीत दिलाई। उनकी भूमिका से टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी खासे खुश हैं। उन्होंने इस मुक़ाबले के बाद कहा, “टीम के लिए नंबर 5 पर बैटिंग बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है और रैना इसे बखूबी निभा रहे हैं। इसके अलावा उनकी खासियत है कि वे उपयोगी गेंदबाजी भी कर रहे हैं, खासकर बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़।”

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जाहिर है रैना टीम की जरूरत के मुताबिक फिट साबित हो रहे हैं। जिंबाब्वे के खिलाफ जोरदार पारी के बाद उनका इरादा नॉकआउट मुक़ाबले में टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने का होगा। यानी वे जरूरत पड़ने पर टीम जरूरत पड़ने पर आक्रामक बल्लेबाज़ी करते नजर आएंगे जरूरत पड़ने पर संभलकर पारी बढ़ाने की कोशिश करते। इन सबके बीच बतौर गेंदबाज़ विपक्षी बल्लेबाज़ों पर अंकुश भी लगाएंगे।