विश्वकप : टीम इंडिया के लिए क्यों जरूरी है बांग्ला टाइगर्स से सावधान रहने की

विश्वकप मैच में इंग्लैंड पर जीत का जश्न मनाते बांग्लादेश के खिलाड़ी

नई दिल्ली:

भारतीय फैन्स लीग मैचों में शानदार जीत के बाद टीम इंडिया के लगातार दूसरे खिताब का सपना संजोने लगे हैं, लेकिन नॉक आउट राउंड में भारत की टक्कर सबसे पहले 19 मार्च को मेलबर्न में बांग्लादेश से है।

बांग्लादेश के खिलाफ भारत का रिकॉर्ड चाहे कितना भी अच्छा हो, क्वार्टर फाइनल में इसकी कई वजहें हैं कि बांग्ला टाइगर्स टीम इंडिया को सकते में डाल सकते हैं। टीम इंडिया को बांग्ला टाइगर्स के खिलाफ एक नहीं कई वजहों से सावधान रहने की जरूरत होगी।

ठीक आठ साल पहले 17 मार्च 2007 को बांग्लादेश के हाथों टीम इंडिया की हार की तस्वीरें आज भी टीस पैदा करती हैं. बांग्लादेश की मामूली समझी जाने वाली टीम ने दिग्गजों से भरी टीम इंडिया को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया था। फिर ये रिकॉर्ड मायने नहीं रखता कि दोनों टीमों के बीच खेले गए 28 मैचों में भारत ने 24 जीते हैं, बांग्लादेश के नाम तीन जीत हैं और एक का नतीजा नहीं निकल पाया।

उस अहम मैच में मशरफ़े मुर्तजा ने 4 विकेट लिए और तमीम इक़बाल, मुश्फ़िकुर रहीम और शाकिब अल हसन की अर्द्धशतकीय पारियों ने टीम इंडिया को वर्ल्ड कप से बाहर जाने पर मजबूर कर दिया था। फैन्स और जानकार इसे अब भी नहीं डुला पाए हैं। उस हार की टीस अब भी ताजा है।

पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर कहते हैं कि 2007 वर्ल्ड कप में हुए उस हार की याद अब भी बरकरार है। 'लिटिल मास्टर' कहते हैं कि आप उन्हें हल्का नहीं आंक सकते, बल्कि तब के युवा खिलाड़ी मुश्फ़िकुर रहीम और शाकिब अल हसन जैसे क्रिकेटर उस जीत के बाद और अनुभवी हो गए हैं। कई जानकार मानते हैं कि बांग्लादेश वर्ल्ड कप में अब तक की बेहतरीन क्रिकेट खेल रही है। बड़ी बात ये है कि टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी एक साथ क्लिक कर रही है।

दरअसल बांग्लादेश टीम के श्रीलंकाई कोच चंडिका हथुरासिंघे और उनके स्पोर्ट्स मनोवैज्ञानिक डॉ. फिल जोन्स ने टीम पर बहुत मेहनत की है। इनकी कोशिशों ने खिलाड़ियों में नया आत्मविश्वास भर दिया है।

बांग्लादेश के 47 साल के कोच चंडिका हथुरासिंघे (28 टेस्ट, 35 वनडे) बताते हैं कि ड्रेसिंग रूम में वो हमेशा खेल मनोवैज्ञानिक डॉ. फिल जोन्स के साथ खिलाड़ियों के रोल को लेकर साफ तौर पर बात करते हैं। हमारी कोशिश होती है कि खिलाड़ी अपने (मौलिक) खेल पर फ़ोकस बनाए रखें और मैच के दौरान फैसला लेने से नहीं चूकें। हम खिलाड़ियों को इसकी काफी आजादी देते हैं। वो कहते हैं कि इससे बांग्लादेशी ड्रेसिंग रूम का माहौल बदला है और इससे उन्हें काफी मदद मिली है।

इस वर्ल्ड कप में बांग्लादेश में एक नहीं कई मैच-विनर उभरकर सामने आए हैं. कप्तान मशरफ़े मुर्तजा, लगातार दो मैचों में शतक लगानेवाले महमूदुल्ला, विकेटकीपर बल्लेबाज मुश्फ़िकुर रहीम, कमाल के ऑलराउंडर शाकिब अल हसन और इंग्लैंड के खिलाफ जीत के हीरो बने गेंदबाज़ रूबेल हुसैन ज़बरदस्त फ़ॉर्म में हैं। इसके अलावा पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर कहते हैं कि क्वार्टरफ़ाइनल में सभी टीमों का स्तर बेहतर है। इसके अलावा यहां गलतियों की गुंजाइश नहीं होगी। ग़लती हुई और आप टूर्नामेंट से बाहर हो सकते हैं।

गावस्कर कहते हैं कि टीम पर ये अतिरिक्त दबाव भी ज़रूर होगी। साथ ही लीग के सभी छह मैच जीतने वाली टीम इंडिया को कई पहलुओं पर अब भी ध्यान देने की ज़रूरत है। टीम इंडिया के लिए अब तक टूर्नामेंट में लक्ष्य का पीछा करना आसान नहीं रहा है। वेस्ट इंडीज और जिंबाब्वे के खिलाफ टीम इंडिया को लक्ष्य का पीछा करते हुए काफी मशक्कत करनी पड़ी। सलामी बल्लेबाजों को और कंसिसटेंट होने की जरूरत है, जबकि नंबर सात पर टीम की असल परीक्षा होनी बाकी है।

गावस्कर ये भी कहते हैं कि जिस तरह से जिंबाब्वे ने भारत के खिलाफ 300 (48.5 ओवर में 287) रन बना लिए, अगर ऐसा बांग्लादेश के खिलाफ होता है, तो टीम इंडिया को मुश्किलें पेश आएंगी, खासकर इसलिए भी कि बांग्लादेशी स्पिनर्स और गेंदबाजों के पास बेहतर अनुभव है। टीम इंडिया को क्वार्टर फाइनल में खास तौर पर चौकस रहने की जरूरत होगी, वरना अब तक जो हासिल हुआ है, उस पर पानी न पड़ जाए।

2007 में उस हार को फैन्स अब भी बड़ी ही असहजता से याद करते हैं। उस मैच में शून्य का स्कोर करने वाले धोनी उसके बाद भारतीय क्रिकेट में कई बार शानदार इतिहास लिख चुके हैं। लेकिन एक लंबा वक्त बीत चुका है और टीम इंडिया के पास इन सबसे आगे बढ़कर एक नई तारीख पर दस्तखत करने का शानदार मौका है।


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