लोहड़ी 2017 स्पेशल: जानिए क्या है पंजाब के लोक नायक दुल्ला भट्टी की कहानी

लोहड़ी 2017 स्पेशल: जानिए क्या है पंजाब के लोक नायक दुल्ला भट्टी की कहानी

लोहड़ी की शाम जलते अलाव के इर्द-गिर्द दुल्ला भट्टी की कहानी जरूर बयान की जाती है.

उत्तर भारत, विशेषकर पंजाब, में लोहड़ी का त्यौहार, जो मकर संक्रांति की पूर्व संध्या का एक शानदार उत्सव है, एक लोकनायक दुल्ला भट्टी (Dulla Bhatti) की याद की अमरता से भी जुड़ा है. पंजाब के इस लोकप्रिय पर्व लोहड़ी की शाम जलते अलाव के इर्द-गिर्द जमे बड़े-बुजुर्ग दुल्ला भट्टी की कहानी जरूर बयान करते हैं. केवल कहानी ही नहीं कहते बल्कि दुल्ला भट्टी का गीत गाते भी हैं और नाचते भी हैं.

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हर साल लोहड़ी पर अग्नि में आशीर्वाद के लिए मूंगफली, रेवड़ी और फुल्ले अर्पित करने के बीच दुल्ला भट्टी के गीत ‘सुन्दर मुंदरिये’ के जरिए बुराई पर अच्छाई की जीत और अच्छे कर्म करने का संकल्प भी लिया जाता है.
 
वास्तव में गौर से देखा जाए तो लोहड़ी के सभी गीत दुल्ला भट्टी से ही जुड़े दिखते हैं. हम यह भी कह सकते हैं कि लोहड़ी के गानों का केंद्र बिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता है.

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मध्यकाल में दुल्ला भट्टी मुगल शासक अकबर और जहांगीर के समय में पंजाब में रहते थे. उन्हें पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
 
प्रचलित लोक कथाओं के अनुसार, उस समय पंजाब के एक जगह संदलबार के इलाके में लड़कियों को ज़बरन उठा लिया जाता था. उन्हें गुलामी के लिए बलपूर्वक अमीर लोगों को बेचा जाता था. कईयों को मध्यपूर्व के देशों में शाही हरम की शान बढ़ाने के लिए भेज दिया जाता था.

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कहते हैं, एक योजना के तहत दुल्ला भट्टी ने न केवल उन लड़कियों को आततायियों से मुक्त करवाया बल्कि उनकी शादी विधिपूर्वक हिंदू लड़कों से करवाई और उनकी शादी की सभी व्यवस्थाएं भी अपनी देखरेख में करवाई.
 
कुछ लोकगाथाओं में केवल दुल्ला के केवल एक शादी का जिक्र है, तो किसी-किसी लोककथा में उल्लेख है कि दुल्ला ने कई स्त्रियों से सम्मानपूर्वक विवाह किया था. जो भी हो, ये सभी लोककथाएं उसके उच्च चरित्रवान होने और स्त्रियों के प्रति उसकी सम्मान की भावना को पुष्ट करता है.

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दुल्ला भट्टी की लोकप्रियता को देखते हुए पंजाबी भाषा में सन 1956 में ‘दुल्ला भट्टी’ नामक एक फिल्म बनायी थी. उसी कहानी पर इसी नाम से सन 2016 में दुबारा एक और फिल्म रिलीज की गई, जो खासा लोकप्रिय हुई.

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