उज्जैन सिंहस्थ 2016: आज हुई पहली पेशवाई, दिखे साधु-संतों के आश्चर्यजनक करतब

उज्जैन सिंहस्थ 2016: आज हुई पहली पेशवाई, दिखे साधु-संतों के आश्चर्यजनक करतब

पेशवाई - सिंहस्थ कुंभ में साधु-संतों का शाही प्रवेश (फोटो साभार: simhasthujjain.in)

उज्जैन:

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ की औपचारिक शुरुआत के मौके पर मंगलवार को निकली पहली पेशवाई में साधु-संत अपने पारंपरिक रंग में दिखे। पहली पेशवाई श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की हुई।
 
क्या है पेशवाई?
सिंहस्थ कुंभ में ठाठ-बाट के साथ साधु-संतों के प्रवेश को पेशवाई कहा जाता है। वैसे तो सिंहस्थ कुंभ आम जनों के लिए 22 अप्रैल से शुरू हो रहा है, मगर साधु-संतों के प्रवेश की शुरुआत मंगलवार को पहली पेशवाई के माध्यम से हो गई। इस पेशवाई में जूना अखाड़े का वैभव और शक्ति साफ दिखी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हुए शामिल
मयूर रथ पर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज सवार थे, उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस रथ पर सवार हुए। यह पेशवाई नीलगंगा से शुरू हुई। इस भव्य पेशवाई में सबसे आगे अखाड़े की ध्वजा लिए साधु-संत चल रहे थे। इनके पीछे बैंडबाजों की धुन पर थिरकते हुए नागा साधु नृत्य एवं अस्त्र, शस्त्र के करतब दिखाते हुए चल रहे थे। पेशवाई में प्रशिक्षित घोड़ों का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा।
 
साधु-संतों ने दिखाए आश्चर्यजनक करतब
इस पेशवाई में भगवान शिवशंकर की वेशभूषा में हाथ में त्रिशूल लिए एक साधु तांडव नृत्य करते हुए, तो वहीं नृत्य करते हुए अपनी उंगली पर थाली घुमाकर उसे उछालते हुए एक साधु भी पेशवाई में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहे। कई नागा साधुओं ने पेशवाई में शामिल होकर तलवार त्रिशूल एवं अन्य शस्त्रों के साथ आकर्षक एवं आश्चर्यजनक करतब प्रस्तुत किए। साधु-संत पेशवाई में नाचते गाते चल रहे हैं। विभूति से रंगे और बड़े-बड़े केशधारी साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। किसी के हाथ में त्रिशूल, तो कोई दंड थामे हुए है। 

पुष्पवर्षा से पेशवाई का हुआ स्वागत
पेशवाई के दौरान शहर के विभिन्न चौराहों पर जगह-जगह विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं ने पेशवाई का भव्य स्वागत किया तथा पुष्पवर्षा कर पेशवाई का अभिनंदन भी किया। सामाजिक संस्थाओं द्वारा पेशवाई मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर शीतल पेयजल की नि:शुल्क व्यवस्था भी श्रद्धालुओं के लिए की गई। पेशवाई मार्ग पर प्रशासन द्वारा आकर्षक साज-सज्जा की गई थी।

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जूना अखाड़े की छावनी पर समाप्त हुई पेशवाई
इस पेशवाई में 20 घोड़े, दो ऊंट, आठ बैंड और पांच बग्घियां शामिल हुईं। इन बग्घियों पर महामंडलेश्वर विराजित थे। पेशवाई ढोल धमाकों और बैंडबाजों की धुन के साथ नीलगंगा से शुरू होकर विभिन्न मार्गो से होती हुई जूना अखाड़े की सिंहस्थ छावनी में पहुंचकर पेशवाई का समाप्त हुई।