पढ़ें, सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में की गई दस अहम सिफारिशें

पढ़ें, सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में की गई दस अहम सिफारिशें

वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति एके माथुर की अध्यक्षता वाले सातवें केंद्रीय वेतन आयोग ने वित्तमंत्री अरण जेटली को अपनी प्रतिवेदन सौंप दी है।

पढ़ें वेतन आयोग की दस खास सिफारिशें:

  1. केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में कुल मिलाकर 23.55% की बढ़ोतरी, वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों पेंशन में 24% की वृद्धि की सिफारिश की गई है। ये सिफारिशें एक जनवरी, 2016 से लागू की जाएंगी।

  2. केंद्रीय सेवाओं में न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये और अधिकतम वेतन 2.25 लाख रुपये प्रति माह होगा। इस तरह कैबिनेट सचिव को ढाई लाख रुपये प्रति माह का वेतन मिलेगा, जो इस समय 90,000 रुपये है।

  3. वेतन में सलाना बढ़ोतरी तीन फीसदी बरकरार। सैन्य बलों की तर्ज पर सरकारी कर्मचारियों के लिए भी वन रैंक- वन पेंशन की सिफारिश।

  4. ग्रैच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की सिफारिश। जब कभी महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत तक बढ़ेगा, ग्रैच्युटी की सीमा में 25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी।

  5. इन सिफारिशों के लागू होने से वेतन, भत्ते व पेंशन पर सरकार का खर्च जीडीपी के 0.65 प्रतिशत के बराबर बढ़ेगा, जबकि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में यह वृद्धि जीडीपी के 0.7 से एक प्रतिशत थी।

  6. सैन्य सेवाओं के विभिन्न पहलुओं के मद्देनजर क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाने वाली मिलिट्री सर्विस पे (एमएसपी) केवल रक्षा बलों के कर्मचारियों के लिए। सैन्य अधिकारियों के लिए एमएसपी 6,000 रुपये से बढ़ाकर 15,500 रुपये प्रति माह करने की सिफारिश, नर्सिंग सेवा के अधिकारियों के लिए एमएसपी 4,200 रुपये से बढ़ाकर 10,800 रुपये, जेसीओ-ओआर के लिए 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,200 रुपये करना और युद्ध क्षेत्र के इतर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एमएसपी 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,600 रुपये प्रति माह करने की सिफारिश।

  7. शॉर्ट सर्विस कमीशंड के अधिकारियों को 7 से 10 साल के बीच नौकरी छोड़ने की अनुमति होगी।

  8. सातवें वेतन आयोग ने 52 तरह के भत्तों को खत्म करने, अन्य 36 को मौजूदा भत्तों में समाहित करने की सिफारिश की।

  9. इन सिफारिशों से 47 लाख कर्मचारियों एवं 52 लाख पेंशनभोगियों को लाभ होगा,  जिसमें रक्षाकर्मी भी शामिल हैं।

  10. ये सिफारिशें जस की तस लागू करने पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा, जिसमें 73,650 करोड़ रुपये केंद्रीय बजट और 28,450 करोड़ रुपये रेल बजट में डालना होगा।

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