भारत से व्यापार बढ़ाना चाहता है ब्रिटेन, लेकिन भारत ज़्यादा वीसा पाने का इच्छुक : 10 खास बातें

भारत से व्यापार बढ़ाना चाहता है ब्रिटेन, लेकिन भारत ज़्यादा वीसा पाने का इच्छुक : 10 खास बातें

नई दिल्ली: भारत यात्रा के तहत राजधानी नई दिल्ली में मौजूद यूनाइटेड किंगडम (यूके) की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने सोमवार को कहा कि ब्रिटेन मुक्त व्यापार के क्षेत्र में बड़ा खिलाड़ी बनेगा, और उन्होंने 'ब्रेक्ज़िट' (यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के बाहर निकलने) के बाद के युग के लिए दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था भारत से होने वाले संभावित सौदे की नींव रखी.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. हालांकि जब तक ब्रिटेन पूरी तरह यूरोपीय यूनियन से बाहर नहीं निकल जाता, जो वर्ष 2019 में संभावित है, वह किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक समझौता नहीं कर सकता है, लेकिन थेरेसा मे ने संकेत दिए कि वह ईयू से बाहर निकलते ही देरी करने के पक्ष में नहीं हैं. सोमवार को उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "(साझा हितों वाले इलाकों की) पहचान के लिए हमारे यूरोपियन यूनियन से बाहर निकल आने का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है..."

  2. दूसरी ओर, चूंकि भारत सरकार विद्यार्थियों तथा कुशल कामगारों के लिए ब्रिटेन पहुंचने का रास्ता आसान करने को लेकर उत्सुक है, इसलिए दोनों देशों के बीच होने वाली हर बातचीत में वीसा की संख्या अहम मुद्दा रहने की संभावना है. थेरेसा मे ने सोमवार को भारतीय व्यापारिक यात्रियों के लिए वीसा प्रक्रिया आसान करने का वादा किया, लेकिन भारतीय विद्यार्थियों के लिए नहीं.

  3. वैसे, चूंकि ब्रिटेन ईयू को छोड़ते ही बड़े समझौते करने की ताक में है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास 'सौदेबाज़ी' करने के लिए ज़्यादा अवसर हैं.

  4. थेरेसा मे, जो चाहती हैं कि मुक्त व्यापार के क्षेत्र में ब्रिटेन दुनियाभर में सबसे आगे हो, ने कहा कि वह अपनी भारत यात्रा का इस्तेमाल भारत से व्यापार के रास्ते की अड़चनों को कम करने तथा ब्रेक्ज़िट के बाद के दौर में भारत से मुक्त व्यापार के लिए समझौते का रास्ता साफ करने के लिए करना चाहती हैं.

  5. भले ही इस समझौते से ब्रिटेन को होने वाला फायदा साफ दिखाई देता है, लेकिन ऐसा समझौता हो पाना भी बहुत आसान नहीं है. भारत में आज भी दरों और नौकरशाही (लालफीताशाही) का ऐसा जाल मौजूद है, जिसकी वजह से आमतौर पर भारत को व्यापार करने के लिए दुनिया के सबसे कठिन देशों में शुमार किया जाता है. इसके अलावा, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी काफी कम है - पिछले साल यह सिर्फ 14 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था, जो भारत और जर्मनी के बीच होने वाले व्यापार से भी कम है.

  6. भारत में खासतौर से उन विद्यार्थियों के लिए वीसा पाबंदियों को लेकर नाराज़गी है, जो यूनिवर्सिटी कोर्स खत्म होने के बाद भी ब्रिटेन में रहना चाहते हैं, और इसी वजह से वहां जाने वाले भारतीय विद्यार्थियों में 50 फीसदी की कमी आई है.

  7. बहरहाल, थेरेसा मे ने कहा कि ब्रिटेन पहले से ही भारतीयों को खास दर्जा देता है, जिसके तहत वे 'उसी दिन वीसा' (सेम डे वीसा) के लिए आवेदन कर सकते हैं, और इसके अलावा उन्होंने नई 'रजिस्टर्ड ट्रैवलर्स फी' की योजना बनाई है, ताकि भारतीय व्यापारियों को कस्टम क्लियरेंस में कम वक्त लगे.

  8. लगभग तीन दर्जन व्यापारिक दिग्गजों के प्रतिनिधमंडल के साथ भारत आईं थेरेसा मे रविवार रात को नई दिल्ली पहुंची थीं, और मंगलवार को वह आईटी बह कहलाने वाले बेंगलुरू शहर जाएंगी.

  9. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "यह अहम है कि इतिहास के ज़रिये एक दूसरे से जुड़े रहे भारत और यूके 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के लिए मिलकर काम करें..." उन्होंने 100 'स्मार्ट सिटी' जैसे अपने खास अभियानों में शामिल होने के लिए यूके के साझीदारों को आमंत्रित भी किया.

  10. वर्ष 2010 के बाद से ब्रिटेन में पढ़ने जाने वाले भारतीय नागरिकों की गिनती में आई तेज़ कमी की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'शैक्षिक तथा शोध अवसरों में युवाओं की भागीदारी तथा गतिशीलता बढ़ाने का भी आह्वान किया...'