यह ख़बर 10 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

'बेमिसाल' है 'शहंशाह' का 'याराना' और 'दोस्ताना'...

खास बातें

  • हिन्दी सिनेमा की दिशा बदलकर रख देने वाले अमिताभ बच्चन अपने अभिनय के लिए ही पसंद नहीं किए जाते, बल्कि दोस्तों के बुरे वक्त में मददगार रहने की वजह से उनकी दरियादिली का भी हर कोई कायल है।
मुंबई:

हिन्दी सिनेमा की दिशा बदलकर रख देने वाले, और 'सहस्राब्दि के महानायक' कहकर पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन न सिर्फ अपने अभिनय के लिए पसंद किए जाते हैं, बल्कि अपने दोस्तों और जानने वालों के बुरे वक्त को बदलने में भी हमेशा मददगार रहने की वजह से उनकी हमदर्दी और दरियादिली का भी हर कोई कायल है।

गुरुवार को ज़िन्दगी के 70 वसंत पूरे करने जा रहे अमिताभ बच्चन ने कामयाबी की बुलंदियों को छूने के बावजूद अपने पांव हमेशा ज़मीन पर रखे और कामयाबी की खुमारी को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। 'नमकहराम', 'कालिया' और 'खुद्दार' जैसी फिल्मों में बच्चन के साथ काम कर चुके अभिनेता रज़ा मुराद सिनेमा के इस शहंशाह की इसी हमदर्दी और दरियादिली को शिद्दत से याद करते हैं।

रज़ा मुराद ने कहा, "अमिताभ इतने बड़े अभिनेता हैं, लेकिन अपने व्यवहार और बातचीत से उन्होंने हमेशा खुद को लोगों से जोड़े रखा। वह हमेशा अपने दोस्तों के बुरे वक्त में साथ नज़र आते हैं।"

उन्होंने कहा, "बच्चन की दरियादिली का एक वाकया मैं बयान करना चाहूंगा। हमारे यहां तुलसी नाम का एक जूनियर आर्टिस्ट था। वह जब काफी लम्बे समय बाद सेट पर दिखा तो बच्चन साहब ने उसकी खैरियत पूछी। उसने बताया कि उसे दिल की बीमारी हो गई है और अब काम नहीं कर सकता। बाद में पता चला कि बच्चन साहब ने तुलसी को एक मकान और दुकान खरीदकर दी।"

अमिताभ बच्चन के याराना निभाने और उनकी दरियादिली की बातें कई बार सामने आ चुकी हैं। पिछले साल 'कौन बनेगा करोड़पति' के दौरान निर्देशक रोहित शेट्टी ने दर्शकों को बताया था कि मुश्किल वक्त में अमिताभ ने उनके परिवार का किस तरह साथ दिया था। इसी तरह बिन्दास अदाकारा राखी सावंत ने भी 'बिग बॉस' कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कई साल पहले उनका परिवार जब बुरे दौर से गुजर रहा था, अमिताभ बच्चन ने उनकी आर्थिक मदद की थी।

अमिताभ की पेशेवर ज़िन्दगी की एक खूबी उनका वक्त का पाबंद होना भी है। रज़ा मुराद कहते हैं, "अमिताभ एक बेहद पेशेवर अभिनेता हैं। वह वक्त के इतने पाबंद हैं कि अगर सुबह सात बजे सेट पर पहुंचना है तो ठीक सात बजे ही पहुंचते हैं। यह बात सभी नवोदित कलाकारों के लिए सीखने वाली है।"

पिछले चार दशक के दौरान 180 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके बच्चन ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि वह क्षमता से अधिक काम नहीं कर रहे हैं। वर्ष 1969 में 'सात हिन्दुस्तानी' फिल्म से शुरुआत के बाद अमिताभ ने अपने चार दशक लम्बे करियर में 'ज़ंजीर', 'दीवार', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'कभी कभी' और 'शोले' जैसी कई हिट और सुपरहिट फिल्में दी हैं। उनकी इस साल की आखिरी रिलीज़ फिल्म 'डिपार्टमेंट' थी।

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(11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर विशेष)