प्रवीण मोहरे का फाइल फोटो
मुंबई: पिछले साल फिल्म सेंसर बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश कुमार की गिरफ्तारी के बाद सेंसर बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था, जिस पर जांच एजेंसी सीबीआई ने खूब वाहवाही भी लूटी थी, लेकिन राकेश कुमार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाने वाले प्रवीण मोहरे अब बड़ी मुसीबत में घिर गए हैं।
हालात ये हैं कि कोई उनकी सुध लेने वाला तक नहीं है। प्रवीण मोहरे ने एनडीटीवी को बताया कि राकेश कुमार की सच्चाई सबके सामने लाने के मकसद से उनके खिलाफ ट्रैप लगाने के लिए जरूरी रिश्वत के 50 हजार रुपये उन्होंने अपने दोस्तों से मांग कर इकठ्ठा किए थे। तब सीबीआई ने उनसे कहा था कि ज्यादा से ज्यादा दो महीने में उनके रुपये वापस मिल जाएंगे।
लेकिन तब से अब तक 10 महीने बीत चुके हैं और उन्हें अपने रुपये वापस नहीं मिले हैं और न ही उनको जल्दी मिलने के आसार दिख रहे हैं, जबकि प्रवीण की तरफ से इस बारे में कई बार सीबीआई को खत लिखा जा चुका है।
वहीं सीबीआई की प्रवक्ता कंचन प्रसाद का कहना है कि रुपये वापस पाने की कानूनी प्रकिया होती है। शिकायतकर्ता को अदालत से इस बारे में गुहार लगानी चाहिए। अदालत के आदेश के बाद ही रुपये वापस मिलते हैं, जबकि प्रवीण मोहरे का कहना है कि ऐसे हालत में कोई कैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेगा?
मुंबई के बोरिवली में रहने वाले प्रवीण मोहरे सेंसर बोर्ड में बतौर एजेंट के तौर पर काम करते हैं। पिछले साल एक छत्तीसगढ़ी फिल्म को जल्दी सेंसर सर्टिफिकेट जारी कराने के लिए तत्कालीन सीईओ ने उनसे रिश्वत मांगी थी। जिसकी शिकायत सीबीआई से करने के बाद राकेश कुमार को रंगेहाथों पकड़ा गया था।
प्रवीण मोहरे का कहना है कि एक तो उनके रुपये फंसे पड़े हैं तो वही दूसरी तरफ शिकायत करने के बाद से उनका काम भी लगभग ठप्प है। इतना ही नहीं सेंसरबोर्ड के मौजूदा चेयरमैन पहलाज निहलानी ने 20 मई को उनके साथ बदसलूकी भी की और उनके दफ्तर में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी गई है।
प्रवीण का दावा है कि इसकी शिकायत उन्होंने मलाबार हिल पुलिस स्टेशन में की है। इस संबंध में पहलाज निहलानी से संपर्क करने पर उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार करते हुए पुलिस स्टेशन से पूरे घटनाक्रम के बारे में पता करने की सलाह दे दी।