यह ख़बर 17 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

फरहान अख्तर तो दिखते भी मेरे जैसे हैं : मिल्खा सिंह

खास बातें

  • मिल्खा ने कहा, फिल्म के प्रदर्शन के बाद दुनियाभर से मुझे सैकड़ों फोन आ रहे हैं। सारा दिन फोन पर बधाइयां लेता रहता हूं... सबसे ज्यादा हैरान करने वाला फोन पूर्व अमेरिकी धावक कार्ल लुइस का था।
मुंबई:

महान भारतीय धावक मिल्खा सिंह की जीवनी पर बनी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' ने प्रदर्शन के बाद दुनियाभर में हलचल मचा दी है और खुद मिल्खा सिंह अभिनेता फरहान अख्तर के प्रदर्शन से अभिभूत हैं।

उन्होंने फरहान की तारीफ करते हुए कहा, मैं पर्दे पर खुद को जैसा देखना चाहता था, फरहान बिल्कुल वैसे ही हैं। इसका श्रेय राकेश (फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा) को जाता है। उन्होंने फरहान में मुझे देखा। फरहान ने सचमुच कमाल का अभिनय किया है। यहां तक कि वह दिखते भी मेरे ही जैसे हैं। फरहान ने मेरे जैसी शारीरिक मुद्रा के लिए जितनी मेहनत की, जिस अनुशासन में रहे वह मामूली बात नहीं है।

मिल्खा ने फिल्म को लेकर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, फिल्म के प्रदर्शन के बाद से ही मुझे लगातार फोन आ रहे हैं। दुनियाभर से मुझे सैकड़ों फोन आ रहे हैं। बधाई पर बधाई आए जा रही है। मैं सारा दिन फोन पर बधाइयां लेता रहता हूं। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा हैरान करने वाला फोन पूर्व अमेरिकी धावक कार्ल लुइस का था।

उन्होंने कहा, कार्ल लुइस ने फिल्म देखी और मुझे फोन किया। वह हिन्दी के संवाद नहीं समझ सकते, लेकिन उन्होंने अपने भारतीय मित्र के साथ बैठकर यह फिल्म देखी, वह उनको संवाद अंग्रेजी में बताता गया। लुइस दुनियाभर में मशहूर धावक हैं। उन्होंने ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। वह दुनिया के महान धावकों में से एक हैं। वह मुझे बधाई स्वरूप उपहार भी भेजना चाहते हैं, लेकिन मैंने कहा, इसकी जरूरत नहीं है। मैं बेहद खुश हूं। सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए लंबी लाइनें लगी हैं।

मिल्खा सिंह ने कहा, फिल्म की सफलता का पूरा श्रेय निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा, लेखक प्रसून जोशी, एडीटर पीएस भारती और अभिनेता फरहान अख्तर व अभिनेत्री दिव्या दत्ता को जाता है। फरहान ने जिस आत्मविश्वास और भरोसे से मेरे चरित्र को जिया और दिव्या ने जिस जीवंतता से मेरी बहन के किरदार को निभाया वह काबिले तारीफ है।

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मिल्खा कहते हैं कि उनके जीवन की सिर्फ एक इच्छा अधूरी रह गई। उन्होंने कहा, रोम ओलिंपिक में जो स्वर्ण पदक मेरे हाथ से फिसल गया था, दुनिया छोड़ने से पहले उसे अपने देश में देखना चाहता हूं। यही मेरी आखिरी इच्छा है।