फिल्म रिव्यू : हंसा सकती है आपको 'हाउसफुल-3', रेटिंग- 3 स्टार्स

फिल्म रिव्यू : हंसा सकती है आपको 'हाउसफुल-3', रेटिंग- 3 स्टार्स

फिल्म से ली गई तस्वीर

मुंबई:

इस हफ्ते सिनेमा घर 'हाउसफुल' होंगे या नहीं यह बताएगी इस हफ़्ते रिलीज़ हुई फ़िल्म 'हाउसफुल-3' जिसके दो कामयाब सीक्वल पहले ही आ चुके हैं, पिछली दो 'हाउसफुल' का निर्देशन किया था साजिद ख़ान ने, लेकिन 'हाउसफुल-3' का निर्देशन किया है साजिद-फ़रहाद ने और इसे लिखा भी इसी जोड़ी ने है।

यह फ़िल्म एक मल्टीस्टारर फिल्म है, जहां आपको मुख्य भूमिकाओं में नज़र आएंगे अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन, रितेश देशमुख, जैकी श्रॉफ़, बमन ईरानी, जैकलीन फ़र्नांडिस, लीज़ा हेडन, नर्गिस फ़करी और चंकी पाण्डे। फ़िल्म की कहानी कुछ कुछ वैसी ही है जैसी की 'हाउसफ़ुल-2' में थी, यानी 3 लड़के जो अमीर लड़कियों से शादी करना चाहते हैं, वहीं 'हाउसफ़ुल-2' में लड़कियों के पिता अमीर लड़के ढ़ूंढ रहे होते हैं और फिर जो जो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं फ़िल्म में वही होता है।

मतलब अपनी पहचान छुपा कर कुछ और दिखाना, फिर विलेन का आना, मार खाना और चित हो जाना... तो कहानी में बताने को ज्यादा कुछ नहीं है। 'हाउसफुल 3' एक स्लैपस्टिक कॉमेडी है यानी भाग दौड़, गिरना पड़ना, आड़े तिरछे चेहरे बनाना वगैहरा-वगैहरा जहां वन लाइनर्स हैं, चुटकले हैं और ऐसे किरदार हैं, जो शायद आपको हंसा पाएं।

'हाउसफुल 3' कैसी है, यह बताने से पहले कॉमेडी के बारे में मैं अपने कुछ विचार रखना चाहूंगा, पहली बात कॉमेडी एक रेलेटिव चीज़ है यानी परस्पर संबधित है जहां किसी को किसी बात पर हंसी आ सकती है और किसी को नहीं, कई बार हमें किसी के बोलने के अंदाज़ पर ही हंसी आ जाती है, पर कोई उस पर मुस्कुराता भी नहीं है। तो किसा भी कॉमेडी के लिए आप खुद बेहतर निर्णय ले सकते हैं कि कॉमेडी अच्छी है या बुरी, यह देखकर की आपको हंसी आई या नहीं।

अब बारी रिव्यू की है, जहां मैं आपको बताउंगा की यह फ़िल्म देखकर मुझे हंसी आई या नहीं और मुझे कैसी लगी 'हाउसफुल 3' और वो भी ख़ूबियों और ख़ामियों के साथ, जिसमें सबसे पहले बात ख़ामियों की। पहली बात कहानी में कोई नयापन नज़र नहीं आता। इस फ़िल्म के शुरुआत में तीनों नायकों के किरदारों का परिचय नैरेशन के साथ दिया जाता है, जो की लंबा और उबाऊ लगता है। साथ ही मुझे लगा की इसका और बेहतर तरीका हो सकता था, मध्यांतर से पहले मुझे फ़िल्म के कुछ हिस्सों में हंसी कम मुस्कुराहट ज़्यादा महसूस हुई, साथ ही मुझे लगा की तरह-तरह के साउंड इफेक्टस का इस्तेमाल करके मुझे बताया जा रहा है कि मुझे यहां हंसना है।

फ़िल्म के इस भाग में मुझे एडिटिंग और डायलॉग्स दोनों की ही धार कम तेज़ नज़र नहीं आई। फ़िल्म में कॉमेडी के मामले में तीनों लड़कियां कमज़ोर नज़र आईं। फ़िल्म में यह तीनों अंग्रेज़ी का शाब्दिक अनुवाद करती हैं, जो कि इनके किरदार का हिस्सा है पर हंसाने का ये तरीका काम नहीं करता... तो यह था खांमियां।

अब बात करते ख़ूबियों की... इस फ़िल्म की जान हैं अक्षय कुमार और रितेश देशमुख, दोनों की परफेक्ट कॉमिक टाइमिंग और अभिनय जो आपको गुदगुदाएंगे, फ़िल्म की बहुत सारे दृश्य हैं, जो आपको हंसने पर मजबूर करेंगे और इसमें डायलॉग्स, परिस्थिती और अभिनय तीनों का ही हाथ है। खासतौर पर मध्यांतर के बाद, फिल्म का संगीत अच्छा है और इसके दो गाने 'प्यार की ' और 'फ़ेक इस्क मुझे अच्छा लगा...'। 'फ़ेक इश्क' के अच्छा लगने का कारण इसका फ़िल्मांकन जो कि इसकी कहानी के साथ भी जाता है और आपको हंसाता भी है।

जिस तरह से तीनों हीरो के किरदार गढ़े गए वो मुझे अच्छा लगा मसलन अक्षय की स्प्लिट पर्सनालिटी, रितेश का ज़ुबान फ़िसलना और अभिषेक एक कुंठित रैपर के किरदार में जो आपको कई बार हंसा जांएगे, बमन भी ठाक हैं, पर उन्हें एक सलाह अपने किरदारों का ज्यादा न दोहराएं। तो यह थी 'हाउसफ़ुल-3' के बारे में मेरी रॉय, बाकी जैसा मैंने कहा कि कॉमेडी के बेहतर जज आप खुद हैं, क्योंकी यह मैं नहीं बता सकता कि एक ख़ास परिस्थिती, ख़ास इंसान या ख़ास चुटकले को सुनकर आपको कितनी हंसी आएगी या आएगी भी या नहीं, पर मुझे यह फ़िल्म देखते वक्त हंसी आई इसलिए मेरी तरफ़ से इसे 3 स्टार्स।


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