यह ख़बर 01 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कुछ भी आपत्तिजनक नहीं 'विश्वरूप' में...

खास बातें

  • एक बार फिल्म ज़रूर देखें... इसलिए भी देखें, क्योंकि फिल्म अच्छी है, और इसलिए भी देखें, ताकि आप समझ सकें कि तिल का ताड़ कैसे बनाया जाता है...
मुंबई:

अपने तमिल संस्करण को लेकर काफी उथल-पुथल और ढेरों विवादों के बाद कमल हासन की 'विश्वरूप' आज कई जगह हिन्दी में रिलीज़ हो गई है...

इस फिल्म में डायरेक्टर-एक्टर-प्रोड्यूसर और फिल्म के राइटर कमल हासन दिखेंगे पहले एक डांस टीचर के किरदार में, जो हर समय लड़कियों से घिरे रहते हैं, और उनकी पत्नी, यानि पूजा कुमार, उन पर इस कदर शक करती है कि अपने पति के पीछे लगा देती है एक जासूस, जो कमल का पीछा करते-करते मर जाता है, और इस पूरी घटना के तार जाकर मिल जाते हैं, आतंकवाद से...

अब अगर मैं फिल्म की कहानी के बारे में इससे ज़्यादा आपको कुछ बताऊंगा तो उसकी सभी परतें खुल जाएंगी, इसलिए कहानी छोड़कर बात करते हैं, फिल्म की अच्छाइयों और खामियों की...

आइए, पहले खामियों का ज़िक्र करते हैं - 'विश्वरूप' की कहानी की बात करें, इसके कुछ सीन्स आपको लम्बे लग सकते हैं, और कुछ हिस्सों में फिल्म आपको डॉक्यूमेंट्री जैसी भी लग सकती है, लेकिन यह बात मुझे पसंद आई, क्योंकि अगर आपको कोई मुद्दा उठाना है तो उसकी तह तक जाना भी ज़रूरी है और उसे वास्तविक रखना भी... फिल्म में कमल हासन के एक किरदार पर फिल्माया गया एक गाना कहानी में दिलचस्पी कम करता है, परन्तु शायद वह गाना उस किरदार को दिलचस्प बनाने के लिए ज़रूरी भी था... कमल हासन वाकई क्या हैं - एक आर्मी ऑफिसर, एक जासूस, एक कमांडो - यह साफ नहीं हो पाता... साथ ही जेहादियों से वह क्यों अलग होते हैं, यह भी पता नहीं चल पाता...

अब बात फिल्म की अच्छाइयों की - फिल्म में ठहराव काफी है, जिस वजह से आप कहानी से जुड़े रहते हैं... एक्शन ज़बरदस्त है... इफेक्ट्स दमदार हैं... बैकग्राउंड म्यूज़िक बेहतरीन है, जिसे बेहद अच्छे ढंग से इस्तेमाल किया गया है, और वह सीन्स पर हावी नहीं होता... सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है... फिल्म का संगीत भी फिल्म के हिसाब से अच्छा है... फिल्म में विश्वनाथ, यानि कमल हासन और उनकी पत्नी डॉ. निरूपमा, यानि पूजा कुमार के बीच बेहद खूबसूरत पल फिल्माए गए हैं, जो आपको गुदगुदाते हैं... सभी किरदारों का अभिनय अच्छा है, चाहे कमल की बात करें, या राहुल बोस की... फिल्म में कई बेहतरीन डायलॉग भी हैं, जो एक लाइन में ही दमदार बातें कह जाते हैं... जेहादियों की मानसिकता, और उनके परिवार की सोच में फर्क, ऐसी कई बातें हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती हैं...

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मुझे इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं लगा, जो आपत्तिजनक हो... एक बार फिल्म ज़रूर देखें... इसलिए भी देखें, क्योंकि फिल्म अच्छी है, और इसलिए भी देखें, ताकि आप समझ सकें कि तिल का ताड़ कैसे बनाया जाता है... मेरी तरफ से 'विश्वरूप' को 3.5 स्टार...