यह ख़बर 19 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

डराने में कामयाब रही है 'एक थी डायन'

खास बातें

  • इमरान हाशमी इस फिल्म में जादूगर की भूमिका में हैं, जो जादू दिखाने के दौरान अजीब-सी डरावनी आवाजें सुनते हैं और परेशान होकर मनोवैज्ञानिक के पास जाते हैं।
मुंबई:

फिल्म 'एक थी डायन' में कितनी और कौन डायन है, यह नहीं बताएंगे, वरना फिल्म देखने का मजा खत्म हो जाएगा। इतना जरूर है कि यह सुपरनैचुरल फिल्म है, जो हमें ब्लैक मैजिक और डायनों की कहानी बताती है, जो हमने कई बार बचपन में भी सुनी है।

इमरान हाशमी इस फिल्म में जादूगर की भूमिका में हैं, जो जादू दिखाने के दौरान अजीब-सी डरावनी आवाजें सुनते हैं और परेशान होकर मनोवैज्ञानिक के पास जाते हैं। मनोवैज्ञानिक उन्हें हिप्नोटाइज करके भूतकाल में ले जाता है, जहां इमरान की मुलाकात होती है, डायन से।

फिल्म में इमरान हाशमी के साथ कोंकणा सेन शर्मा, हुमा कु़रैशी और कल्की हैं और इन्हीं में से कोई है डायन। फिल्म का पेस इंटरवल से पहले काफी अच्छा है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म डगमगाती और खिंची हुई नजर आती है।

फ़िल्म में कई ऐसे पहलू हैं, जो समझ में नहीं आते कि ये क्यों और कैसे हुआ। जैसे अगर कोई औरत डायन है, तो क्यों और कैसे बनी... क्यों वह किसी परिवार की दुश्मन बन गई और उसे तबाह कर दिया, इमरान हाशमी के पास भी पिशाच की शक्ति क्यों और कैसे है।

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फिल्म के सभी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है। यह कई जगहों पर डराती है और सोचने पर मजबूर करती है कि क्या यह संभव है? क्या ब्लैक मैजिक और डायन जैसी चीजें मौजूद हैं? फिल्म का संगीत भी सिचुएशन के लिहाज से ठीक है। कन्नन अय्यर का निर्देशन अच्छा है। फिल्म में सस्पेंस और थ्रिल मजबूत है। 'एक थी डायन' के क्लाइमेक्स में कहा गया है कि हर इंसान में पिशाच यानी शैतानी शक्ति होती है। बस निर्भर करता है कि उसे अच्छे के लिए इस्तेमाल करते हैं या बुरे के लिए। फिल्म के लिए रेटिंग है तीन स्टार।