यह ख़बर 28 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : उंगली - अच्छा विषय, कमज़ोर स्क्रिप्ट, औसत फिल्म

मुंबई:

आज रिलीज़ हुई फिल्म 'उंगली' चार दोस्तों की कहानी है, जिनका एक 'उंगली गैंग' है, जो भ्रष्टाचार और भ्रष्ट सिस्टम को 'उंगली' दिखाता है, और उसके खिलाफ अपने तरीके से जंग लड़ रहा है... फिर इन चार दोस्तों के साथ एक पांचवां दोस्त जुड़ता है, इमरान हाशमी के रूप में... ये भ्रष्ट कर्मचारियों को सजा देते हैं और मीडिया को टेप भेजकर अपना संदेश दिया करते हैं... इस केस पर काम करने के लिए पुलिस ऑफिसर काले को तैयार किया जाता है, जिसकी भूमिका निभाई है संजय दत्त ने, लेकिन वह भी पूरे पुलिस सिस्टम को 'उंगली' दिखा देते हैं...

फिल्म 'उंगली' का विषय अच्छा है, मुद्दे आज के हैं... यह दिखाने की कोशिश की गई है कि आज हर इंसान भ्रष्ट सिस्टम से परेशान है... भ्रष्ट अधिकारियों को सजा देने का तरीका भी काफी रोचक है... फिल्म के डायरेक्टर रेंसिल डिसिल्वा इससे पहले 'रंग दे बसंती' जैसी फिल्म लिख चुके हैं, लेकिन अफसोस, वह 'उंगली' के अच्छे विषय को अच्छी कहानी में तब्दील नहीं कर पाए... फिल्म की कहानी हिचकोले खाते-खाते आगे बढ़ती है... फिल्म के प्रोमो में इमरान हाशमी को हीरो बनाकर पेश किया गया है, लेकिन असली हीरो रणदीप हुड्डा हैं, जो गैंग के सरगना हैं... यानि इमरान का किरदार वैसा ही है, जितना दूसरे कैरेक्टर आर्टिस्ट का... बस, उनकी एक स्पेशैलिटी दिखाने के लिए एक सीन रखा गया है, जिसे आप प्रोमो में ही देख चुके हैं... कंगना की एक्टिंग एक्सप्रेशन के बिना है... गाने जबरदस्ती डाले हुए हैं, जो थिएटर से बाहर निकलने के बाद शायद याद भी न रहें...

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

फिल्म में आपको कुछ चीज़ें अच्छी भी लगेंगी... खासतौर पर भ्रष्ट अधिकारियों को सजा देने का तरीका... आप 'उंगली' को एक बार देख सकते हैं और मुझे यकीन है कि आप शायद ज़्यादा बोर न हों, क्योंकि फिल्म करीब दो घंटे की ही है, जो जल्दी पार हो जाते हैं... मेरे नज़रिये से 'उंगली' एक अच्छे विषय पर कमज़ोर स्क्रिप्ट के साथ बनाई गई एक औसत फिल्म है, जो दिल को छूने में नाकाम है, इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 2.5 स्टार...