यह ख़बर 02 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रिव्यू : 'आई एम सिंह' को 1.5 स्टार

खास बातें

  • 'आई एम सिंह' कहानी अमेरिका के 9/11 हमले के बाद भड़की नफरत की हिंसा पर है। जब अमेरिकी सिखों को हिंसा का शिकार बनाया जाता है।
Mumbai:

'आई एम सिंह' कहानी अमेरिका के 9/11 हमले के बाद भड़की नफरत की हिंसा पर है जब अमेरिकी सिखों को अरबी और अफगानी समझकर कुछ रंगभेद करने वाले गोरों ने हिंसा का शिकार बनाया था। फिल्म में रणवीर सिंह का एक भाई मारा जाता है दूसरा गायब हो जाता है और पिता गंभीर रूप से घायल है। रणवीर गोरों की हिंसा का जवाब हिंसा से देता है लेकिन पगड़ी ना उतारने के कारण अमेरिकी पुलिस से बर्खास्त हुआ फतेह सिंह उसे कानूनी लड़ाई लड़ने की सलाह देता है। सारे किरदार शांतिपूर्ण ढंग से अमेरिकियों को समझाने में जुट जाते हैं कि पगड़ी सिखों के साहस समर्पण और भक्ति का प्रतीक है इसे सम्मान दें अच्छी बात है लेकिन एक फिल्म में एक ही बात और एक जैसे डायलॉग आखिर कितनी बार दोहराए जाएंगे। कई करेक्टर्स की डायलॉग डिलीवरी बड़ी इम्मेच्योर है जिसके चलते वकील और एफबीई एजेंट की बुद्धि पर भी शक होता। वही पुरानी फिल्मों की तरह भारतीय और पाकिस्तानी अमेरिका पहुंचकर गहरे दोस्त बन जाते हैं। अमेरिकी वकील पहली दूसरी मुलाकात में ही अपने इंडियन क्लाइंट से ज्यादा गर्मजोशी दिखाने लगती है। ढेरों डायलॉग अंग्रेज़ी में हैं जिस पर हिन्दी सबटाइटल भी नहीं है। फर्स्ट हाफ तो फिर भी देखा जा सकता है लेकिन सेकेंड हाफ झेलते नहीं बनता। रंगभेद करने वाले गोरों को पिटते देख जोश जरूर आता है बिना शक 'आई एम सिंह' अच्छी नीयत से बनी बुरी फिल्म है और इसके लिए मेरी रेटिंग है 1.5 स्टार।


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