जानें महज 33 साल की उम्र में अपनी फिल्म से 600 करोड़ की कमाई देने वाले अली जफर का फिल्मी सफर

जानें महज 33 साल की उम्र में अपनी फिल्म से 600 करोड़ की कमाई देने वाले अली जफर का फिल्मी सफर

खेल की पृष्‍ठभूमि पर बनी अली अब्‍बास की फिल्‍म 'सुल्‍तान' को लोगों ने जमकर सराहा है

खास बातें

  • अली ने साल की सबसे बड़ी ब्लॉक बस्टर 'सुल्तान' का निर्देशन किया है
  • भारतीय फिल्म के लिहाज से यह है चौथी सर्वाधिक आमदनी वाली फिल्म
  • अली ने देहरादून से दिल्‍ली होते हुए मुंबई तक का सफर तय किया
मुंबई:

मुंबई की बारिश से भीगी एक शाम में अली अब्बास जफर स्वेट शर्ट और पैंट में हैं. मुझे बताया गया है कि यह बॉलीवुड स्टार सलमान खान के साथ उनके लंबा समय बिताने का नतीजा है.

सलमान के साथ लंबा समय बिता चुके अब्बास ने इस साल की सबसे बड़ी ब्लॉक बस्टर 'सुल्तान' का निर्देशन किया है, जिसने 600 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया. यह भारतीय फिल्म के लिहाज से चौथी सर्वाधिक आमदनी वाली फिल्म है. इस सबके बीच जिस नंबर की सबसे कम चर्चा हुई है, वह 33, जो कि अली की उम्र है.

वैसे भी बॉलीवुड उम्र का मोहताज नहीं रहा है. आदित्य चोपड़ा उस समय महज 24 वर्ष के थे, जब 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' रिलीज हुई. फरहान अख्तर ने महज 35 वर्ष साल की उम्र में ही 'दिल चाहता है' के अलावा 'लक्ष्य' और 'डॉन' जैसी फिल्में दी. इसी उम्र में करण जौहर ने 'कुछ-कुछ होता है', 'कभी खुशी कभी गम' और 'कभी अलविदा न कहना' के जरिये तिहरी कामयाबी से हमें चौंकाया. 30 की उम्र में अयान मुखर्जी 'वेक अप सिड' और 'ये जवानी है दीवानी' लेकर आए थे. इससे कई साल पहले 35 साल की उम्र में सुभाष घई की 'कर्ज' रिलीज हुई थी. इसी तरह सत्यजीत रे जब 34 वर्ष के थे तब उनकी फिल्म 'पाथेर पांचाली' सिने स्क्रीन पर छाई.

हालांकि अली सिर्फ 'सुल्तान' ही नहीं, अपने इर्दगिर्द की हर अप्रत्याशित सफलता उन सलमान खान की देन मानते हैं, जिन्हें वे 'एसके' कहकर बुलाते हैं. अली कहते हैं, 'यदि सलमान राजी नहीं होते तो मैं यह फिल्म ही नहीं बनाता.' सुल्तान का कैरेक्टर इस  तरह का है जिसे 'एसके' जैसा इकलौता स्टार ही निभा सकता है. उन्होंने कहा, 'एक सीन है, जिसमें वे अपनी शर्ट उतारते हैं तो खुद को पूरी तरह 'आउट ऑफ शेप' पाकर बुरी तरह टूट जाते हैं. अगर कोई दूसरा कलाकार होता हो यह सीन इतना प्रभावी नहीं बन पाता.' सलमान इस देश में बॉडी बिल्डिंग के शहंशाह के रूप में जाने जाते हैं. ऐसे में उनका आउट ऑफ शेप होना और बुरी तरह फट पड़ने का दर्शकों पर दोहरा प्रभाव रहा.

एक तरह से यह उन युवा फिल्म निर्माताओं के लिए सकारात्‍मक साबित हो सकता है जो दावा करते हैं कि उनके पास सलमान के लिए अच्छी भूमिका है. हालांकि इनमें से कोई भी 50 वर्षीय सुपरस्टार के लिए ऐसी स्क्रिप्ट लेकर नहीं आ पाया है. जहां तक अली की बात है तो उनके लिए इसका रास्ता करीबी दोस्त के जरिये खुला. वे बताते हैं, 'मैं उन्हें कैटरीना कैफ के जरिये जानता था. कैटरीना मेरे नजदीकी दोस्तों में है और मेरी पहली फिल्म में थीं. सलमान ने मेरी दोनों फिल्म 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' और 'गुंडे' पसंद कीं. 'एक था टाइगर' के दौरान भी मेरी उनसे थोड़ी बातचीत हुई. हमारे बीच यह बात थी कि यह वैसा सिनेमा है जो हमें बनाना चाहिए और इस तरह का स्टार इसके लिए सूट करता है, क्योंकि मैं मुख्यधारा (मैन स्ट्रीम) की फिल्में बनाना पसंद करता हूं जिसमें गाने और ड्रामा हो.'

जब 'एसके' स्क्रिप्ट सुनने के लिए राजी हो गए, अली इसके लिए करीब तीन साल से तैयार थे. यह उनकी दूसरी फिल्म 'गुंडे' के दौरान की बात है, जब सुशील कुमार ने 2012 के ओलिंपिक में कुश्ती का सिल्वर मेडल जीता था. अली कहते हैं, 'इस तरह से यह सब शुरू हुआ. मुझे लगा कि मुझे हरियाणवी पहलवान पर फिल्म बनानी चाहिए जो उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरता है. यह कहानी केवल मेडल जीतने की नहीं है, यह अपने आप से लड़ने के बारे में है. मैंने दस पेज लिखे और उसके बाद आदि (यशराज फिल्म्स के चेयरमैन आदित्य चोपड़ा) के पास गया. आदि ने कहा-यार, पहलवान वाली फिल्म कौन देखेगा.'

 
'सुल्‍तान' के प्रमोशनल इवेंट के दौरान डायरेक्‍टर अली अब्‍बास जफर के साथ सलमान खान

अली ने कहा, 'फिल्‍म मेकिंग के बारे में उन्‍होंने अब तक जो भी सीखा है उससे यह तय हो गया था कि इस फिल्‍म का भारत से जुड़ाव जरूरी है. उन्‍हें यह यकीन था कि यह जुड़ाव सिर्फ भारतीय खेलों से आ सकता है.' अगली सुबह आदित्‍य चोपड़ा ने भी इस आइडिया को मंजूर कर दिया था. 'उनका कहना था कि वह इस आइडिया को अपने दिमाग से निकाल ही नहीं पाए. आज वह इस बात से खुश (600 करोड़ की खुशी) होंगे कि यह आइडिया उनके दिमाग से नहीं निकला.

अली की व्‍यवहारिकता और भद्रता उनकी सफलता की राह में बाधा नहीं बन पाई. इसी का परिणाम था कि एक बालक ने देहरादून से दिल्‍ली यूनिवर्सिटी होते हुए मुंबई तक का सफर तय किया और नए लोगों के लिए चुनौती की तरह माने जाने वाले महानगर में जल्‍द ही पैठ बना ली. उनके असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर से बात करें तो अली का क्षमता का आकलन करते हुए वे जिन शब्‍दों का इस्‍तेमाल करते हैं वे है-उज्‍जवल, जमीन से जुड़ा, विनम्र और कूल माइंडेड. वे सेट पर उन्‍हें तेजी से सोचना वाला, विस्‍तृत सोच रखने वाला, मुश्किल परिस्थितियों में भी आपा नहीं खोने वाला और यारबाज मानते हैं.

अली इस बात से वाकिफ हैं कि फिल्‍म निर्माण केवल रूमानियत से ही ताल्‍लुक नहीं रखता, इसका संबंध कला के साथ इससे जुड़े व्‍यवसाय से भी है. उन्‍होंने बताया, 'मैं इसे इस तरह देखता हूं कि फिल्‍म निर्माण भी दूसरे व्‍यवसायों की तरह एक व्‍यवसाय है क्‍योंकि इस पर भी बड़ी राशि खर्च की जाती है. हम रचनात्‍मकता के साथ बाजार में हैं और फिल्‍म मेकर होने के नाते हमें इसमें संतुलन बनाना होता है. मैं महसूस करता हूं कि फिल्‍म मेकिंग का व्‍यवसाय इसकी कहानी में ही निहित है और बाकी दूसरी चीजें इससे जुड़ी हुई हैं जैसे स्‍टार, संगीत आदि. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहानी किस तरह से पेश करना चाहते हैं.  '

अली की परवरिश देहरादून में दादा-दादी के यहां हुई. उनके पिता पहले सेना में थे और बाद में उन्‍होंने ओएनजीसी में काम किया. मां पेशे से टीचर थीं. कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे दिल्‍ली आए और यही से उनके जीवन में बदलाव का दौर प्रारंभ हुआ. यहीं से बॉयोकैमिस्‍ट्री का यह छात्र साइंस लैब से दूर किरोड़ीमल कॉलेज के प्रसिद्ध थियेटर ग्रुप 'द प्‍लेयर्स ' से जुड़ गया. उल्‍लेखनीय है कि मेगास्‍टार अमिताभ बच्‍चन भी इसी कॉलेज से निकले हैं. वर्ष 2003 में दिल्‍ली में होने वाली फिल्‍मों की शूटिंग से उन्‍होंने जुड़ना शुरू किया. इसी क्रम में वे सोनाली की फिल्‍म 'एमु' से भी वे जुड़े. फरहान अख्‍तर की फिल्‍म 'लक्ष्‍य' से भी वे जुड़े रहे. इस मामले में उनका कहना है, 'इस तरह की फिल्‍मों से मुझे खुशी और संतुष्टि मिली और इसके बाद मैंने 2005-06 के दौरान मुंबई जाने का फैसला किया.'

इसके बार उन्‍होंने असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर के रूप में किस्‍मत आजमानी शुरू किया. उनके लिए बड़ा ब्रेक तब मिला जब 2006 में उन्‍हें साद अली की फिल्‍म 'झूम बराबर झूम' में असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर के तौर पर काम करने का अवसर मिला. इसके बाद यशराज स्‍टूडियो से लंबा जुड़ाव शुरू हो गया. फिल्‍म 'न्‍यूयॉर्क' के दौरान उनकी मुलाकात कैटरीना कैफ से हुई और वे अच्‍छे दोस्‍त बन गए. बाद में उन्‍होंने 'मेरे ब्रदर की दुल्‍हन' की स्क्रिप्‍ट लिखी. जिसके निर्माण के लिए आदित्‍य चोपड़ा राजी हो गए और कैटरीना इस फिल्‍म की मुख्‍य भूमिका में थीं.यह फिल्‍म ब्‍लॉक बस्‍टर तो नहीं रही लेकिन इसके सफलता उनके करियर को गति प्रदान की.

अब उनके अगले प्रोजेक्‍ट 'टाइगर जिंदा है' में सलमान खान और कैटरीना मुख्‍य भूमिका में हैं. यह फिल्‍म वर्ष 2012 में आई कबीर खान की 'एक था टाइगर' की सीक्‍वल है. 'भारी भरकम सितारों से सजी इस फिल्‍म का दारोमदार मेरे ऊपर भी है.'

उन्‍होंने कहा, 'मेरे लिए आज के समय प्रमुख चुनौती सलमान खान हैं, जो इस करियर के चरम पर हैं. यदि मैं लोगों की अपेक्षा के स्‍तर पर खरा नहीं उतरा तो लोग पूछ सकते हैं कि वह इन युवा लड़कों के साथ आखिर काम क्‍यों कर रहे हैं.' अली अब्‍बास अपने अगले कदम को लेकर नर्वस नहीं है. बॉलीवुड में वे मजबूती से कदम रख रहे हैं और आगे की ओर बढ़ रहे हैं...

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