मुंबई: फिल्म 'लवशुदा' की कहानी है एक लड़के गौरव की जिसकी शादी होने वाली है। शादी से पहली वाली रात बैचलर पार्टी में उसकी नशे में धुत एक लड़की पूजा से मुलाकात होती है और फिर उसे प्यार हो जाता है। इससे ज्यादा फिल्म की कहानी बताना सही नहीं होगा, क्योंकि उस रात के बाद क्या हुआ, यही फिल्म का सस्पेंस है।
फिल्म 'लवशुदा' एक प्रेम कहानी है। युवाओं के लिए बनाई गई इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि दिल की सुनो, अपने लिए भी जियो। फिल्म की खूबसूरती यह है कि इसकी कहानी में थोड़ा नयापन है।
फिल्म के पहले भाग में जो कहानी और प्यार दिखाया गया है, वही दूसरे भाग यानी इंटरवल के बाद रिपीट हुआ है, लेकिन कहानी की परिस्थिति बदल जाती है। मजेदार बात यह है कि ये अच्छा लगता है। फिल्म का संगीत भी आज का है। फिल्म के हीरो गिरीश अपने रोल में ठीक लगे हैं मगर नवनीत ढिल्लों ने दिल जीता है।
फिल्म के साथ प्रॉब्लम इतनी है कि इसके इमोशनल सीन दिल को नहीं छू पाते, जबकि लव स्टोरी की जान होते हैं इमोशनल सीन। या फिर यूं कहें की जज्बाती करने वाले दृश्यों पर कलाकार खरे नहीं उतरे। दूसरे भाग में फिल्म लंबी लगने लगती है।
फिल्म 'लवशुदा' में इश्क़ का जूनून है, जोश है और जवानी है इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।