रिव्यू : गंभीर मुद्दे पर एक अच्छी कॉमिक फिल्म है 'बांके की क्रेजी बारात'

रिव्यू : गंभीर मुद्दे पर एक अच्छी कॉमिक फिल्म है 'बांके की क्रेजी बारात'

'बांके की क्रेजी बारात' का एक दृश्य

मुंबई:

फिल्म 'बांके की क्रेजी बारात' की कहानी प्रॉक्सी मैरिज पर आधारित है। कई बार ऐसा होता है कि अगर कोई लड़की सुंदर नहीं है और उसकी शादी नहीं हो पा रही है तो लड़के वालों को उसकी जगह किसी दूसरी खूबसूरत लड़की को दिखा दिया जाता है, लेकिन शादी उस पहली लड़की से ही करा दी जाती है।

मगर फिल्म 'बांके की क्रेजी बारात' में ये परेशानी लड़की की नहीं, बल्कि लड़के की है। राजपाल यादव की शादी नहीं हो रही है और उनकी जगह किसी और को दूल्हा बनाकर बैठा दिया जाता है।

मुद्दा गंभीर है, मगर खास बात ये है कि निर्देशक एजाज खान ने इसे बड़े ही मजाकिया अंदाज में पेश किया है। एजाज खान प्रसिद्ध लेखक इस्मत चुगताई के नवासे हैं। फिल्म की कास्टिंग अच्छी है, जिसमें राजपाल यादव, संजय मिश्रा और विजय राज जैसे मंझे हुए कलाकार हैं।

फिल्म में कॉमेडी का भरपूर तड़का है। शादी-ब्याह के मौक़े पर बदले हुए दूल्हे की वजह से कन्फ्यूजन, बिन बुलाए अनोखे रिश्तेदार और उनकी डिमांड की वजह से अच्छी कॉमेडी पैदा होती है, जिसे देखकर हंसी आती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले और डॉयलॉग अच्छा है, जो आपको बोर नहीं करता।

शादी के लिए तड़पते बांके की भूमिका में राजपाल यादव, हर मुसीबत से छुटकारा देने वाले लल्लन भैया के किरदार में विजय राज और बांके के चाचा जी के रोल में संजय मिश्रा ने जान डाली है।

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फिल्म 'बांके की क्रेजी बारात' एक टाइम पास फिल्म है, जिसे एक बार देखी जा सकती है। इसलिए इस फिल्म को हमारी तरफ से 3 स्टार