रिव्यू : 'मिस्टर एक्स' में नयापन नहीं

मुंबई:

विक्रम भट्ट की 'मिस्टर एक्स' का निर्माण किया है, मुकेश भट्ट ने। फिल्म में 'मिस्टर एक्स' बने हैं, इमरान हाशमी और उनके साथ हैं सिया के किरदार में अमायरा दस्तूर और अरुणोदय सिंह।

ये तीनों ही एंटी टेरेरिस्ट स्कवाड यानी एटीएस में काम करते हैं। मिस्टर एक्स यानी रघु और सिया दोनों एक-दूसरे से इश्क करते हैं और शादी करने वाले हैं, लेकिन शादी से ठीक एक दिन पहले ही दोनों को मुख्यमंत्री की जान बचाने का ज़िम्मा दिया जाता है, पर अचानक रघु एक षड्यंत्र का शिकार हो जाता है।

एक हादसे में वह बुरी तरह घायल होता है और फिर उन्हें ठीक करने की कवायद शुरू होती है और उन्हें ठीक करने की कोशिश के बीच वह बन जाते हैं 'मिस्टर एक्स'। बाकी कहानी जानने के लिए आपको सिनेमाघर तक पहुंचना होगा। अब बात फिल्म की खामियों और खूबियों की।

अदृश्य इंसानों पर यूं तो कई फिल्में बन चुकी हैं, फिर चाहे वह अशोक कुमार की 'मिस्टर एक्स' हो, किशोर कुमार की 'मिस्टर एक्स इन बॉम्बे', अनिल कपूर की 'मिस्टर इंडिया' या फिर तुषार की 'ग़ायब'। इन सभी फिल्मों में आप अगर तर्क ढूंढे तो सारी फिल्में औंधे मुंह गिरेंगी। इन फिल्मों की तुलना अगर आप हॉलीवुड फिल्मों से करें तब भी यही हाल होगा।

यह बात 'मिस्टर एक्स' पर भी लागू होती है। इमरान हाशमी की 'मिस्टर एक्स' में आप नयापन न ढूंढें तो बेहतर है। फिल्म के कुछ सीन फिल्म की रफ्तार धीमी करते हैं। हीरोइन अमायरा को अपनी डायलॉग डिलीवरी पर और मेहनत करने की ज़रूरत है।

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इस फिल्म की खासियत यह है कि इसके स्पेशल इफ़ेक्ट्स आपको चुभेंगे नहीं। फिल्म आपको बहुत हद तक बांधे रखेगी। चंद एक्शन सीन्स मसलन क्लाइमैक्स आपको शायद पसंद आए। फिल्म के गाने अच्छे हैं। अभिनय की बात करूं तो आपको कोई बहुत बेहतरीन भी शायद न लगे पर आप मायूस भी नहीं होंगे। फिल्म 2डी और 3डी दोनों में रिलीज़ हुई है। इसे 2.5 स्टार्स।