यह ख़बर 03 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सौमित्र को फाल्के, विद्या को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार

खास बातें

  • बांग्ला फिल्मों के महान अभिनेता सौमित्र चटर्जी को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के से नवाजा जबकि ‘डर्टी पिक्चर’ में शानदार अभिनय के लिये विद्या बालन को 59वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुर
नई दिल्ली:

बांग्ला फिल्मों के महान अभिनेता सौमित्र चटर्जी को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने गुरुवार को सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के से नवाजा जबकि ‘डर्टी पिक्चर’ में शानदार अभिनय के लिये विद्या बालन को 59वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्रदान किया गया।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के विदेश दौरे पर होने के कारण उपराष्ट्रपति ने आज विज्ञान भवन में विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये। मराठी फिल्मों ने इस बार बाजी मारते हुए मुख्य श्रेणी के अधिकांश पुरस्कार अपनी झोली में डाले।

बी ग्रेड फिल्मों की अभिनेत्री सिल्क स्मिता के जीवन पर बनी फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ में साहसिक और भावपूर्ण अभिनय के लिये विद्या को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया जो उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार है।

मराठी फिल्म ‘देउल’ और ब्यारी भाषा की फिल्म ‘ब्यारी’ को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्रदान किया गया। ‘देउल’ के लिये गिरीश कुलकर्णी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार पंजाबी फिल्म ‘अन्हे घोड़े दा दान’ के लिये गुरविंदर सिंह को दिया गया। उन्हें पुरस्कार के तौर पर स्वर्ण कमल और ढाई लाख रुपये मिले।

वर्ष 2011 के पुरस्कार की फीचर फिल्म जूरी की अध्यक्ष मशहूर अभिनेत्री रोहिणी हटंगडी थी जबकि गैर फीचर फिल्मों की जूरी के अध्यक्ष रमेश शर्मा और सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिये जूरी की अध्यक्ष विजया मूले थी।

बच्चों पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ‘चिल्लर पार्टी’ को दिया गया। इस फिल्म में काम करने वाले सभी 10 बच्चों और ‘स्टानले का डिब्बा’ में बेहतरीन अभिनय करने वाले मास्टर पाथरे गुप्ते को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार मिला। ‘चिल्लर पार्टी’ के लिये विकास बहल और मनीष तिवारी को सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन (मौलिक) का पुरस्कार दिया गया। हिन्दी फिल्मों को इस साल ज्यादा पुरस्कार नहीं मिल सके। जोया अख्तर की फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा ’ को दो पुरस्कार मिले। सर्वश्रेष्ठ लोकेशन साउंड रिकार्डिंग का पुरस्कार इस फिल्म के लिये बेलोन फोंसेका और बोस्को सेजार को मिला। इस फिल्म के गीत ‘सेनोरिटा’ के लिये सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का पुरस्कार मिला।

‘डर्टी पिक्चर’ को सर्वश्रेष्ठ वेशभूषा और मेकअप के भी पुरस्कार मिले। वेशभूषा के लिये निहारिका खान (डर्टी पिक्चर) और नीता लुल्ला (मराठी फिल्म बालगंधर्व) को पुरस्कार दिया गया। वहीं इन्हीं दोनों फिल्मों में मेकअप के लिये विक्रम गायकवाड़ ने पुरस्कार जीता।

ओनिर की फिल्म ‘आई एम’ को सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म चुना गया। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ गीतकार (अमिताभ भट्टाचार्य) का पुरस्कार भी मिला। शाहरूख खान की बहुचर्चित फिल्म ‘रा. वन’ के लिये हैरी हिंगोरानी और केतन यादव को सर्वश्रेष्ठ विशेष प्रभाव का पुरस्कार मिला। किसी निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म का इंदिरा गांधी पुरस्कार तमिल फिल्म ‘अरण्याकंदम’ के लिये कुमारराजा त्यागराजा को मिला। वहीं सर्वश्रेष्ठ संपूर्ण मनोरंजन के लिये लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार तमिल फिल्म ‘अझागरसमियिन कुथिराइ’ को मिला।

सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मणिपुरी फिल्म ‘फिजिगी मनी’ के लिये लेइशांगथेम टोंथोइनगांबी देवी को दिया गया। वहीं सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार तमिल फिल्म ‘अझागरसमियिन कुथिराइ’ के लिये अप्पू कुट्टी को मिला। सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायक मराठी फिल्म ‘बालगंधर्व’ के लिये आनंद भाटे और पाश्र्वगायिका बंगाली फिल्म ‘अबोशेशे’ के लिये रूपा गांगुली को चुना गया।

सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पुरस्कार बंगाली फिल्म ‘रंजना आमी आशबो ना’ के लिये नील दत्त को दिया गया। इस फिल्म के लिये निर्देशक अंजन दत्ता ने जूरी का विशेष पुरस्कार भी जीता। वहीं बंगाली फिल्म ‘लैपटाप’ के लिये मायूख भौमिक को सर्वश्रेष्ठ बैकग्राउंड स्कोर का पुरस्कार मिला। पंजाबी फिल्म ‘अन्हे घोड़े दा दान’ के लिये सत्या राय नागपाल को सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफर चुना गया। सर्वश्रेष्ठ अनुदित पटकथा का पुरस्कार मराठी फिल्म ‘शाला’ के लिये अविनाश देशपांडे निगडी को मिला। ‘शाला’ को सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म भी का पुरस्कार मिला। वहीं मराठी फिल्म ‘देउल’ के लिये गिरीश कुलकर्णी को सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक चुना गया।

हिन्दी फिल्म ‘गेम’ को सर्वश्रेष्ठ साउंड डिजाइनर और रिकार्डिंग का पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार क्रमश: बेलोन फोंसेका और हितेंद्र घोष ने जीते। तमिल फिल्म ‘अरण्याकंदम’ के लिये प्रवीण के एल ने सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार हासिल किया। वहीं प्रोडक्शन डिजाइन के लिये बंगाली फिल्म ‘नौका डूबी’ : इंद्रनील घोष’ ने पुरस्कार जीता।

‘ब्यारी’ फिल्म की नायिका मल्लिका और मलयालम फिल्म ‘अदिमध्यांतम’ के लिये निर्देशक शेरी का जूरी ने खास तौर पर उल्लेख किया। इस साल फीचर फिल्म श्रेणी के लिये 19 भाषाओं में रिकार्ड 186 प्रविष्टियां मिली। वहीं गैर फीचर फिल्म श्रेणी के लिये 156 प्रविष्टियां मिली।

फीचर फिल्म के लिये पांच क्षेत्रीय जूरी ने प्रथम चरण में चयन किया जिसके बाद 50 फिल्मों में से 11 सदस्यीय राष्ट्रीय जूरी ने विजेताओं का चयन किया। सर्वश्रेष्ठ गैर फीचर फिल्म का पुरस्कार हिन्दी और अंग्रेजी में बनी ‘एंड वी प्ले आन’ को दिया गया। वहीं किसी निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिये पुरस्कार मणिपुरी फिल्म ‘द साइलेंट पोएट’ के निर्देशक बरूण थोकचोम को मिला। पर्यावरण पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ‘टाइगर डिनास्टी’ को मिला। वहीं खेलों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ‘द फिनिश लाइन’ को मिला।

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सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का पुरस्कार अनिरूद्ध भट्टाचार्य और बालाजी विट्ठल की किताब ‘आर डी बर्मन : द मैन, द म्युजिक ’ को मिला जिसे हार्पर कोलिंस इंडिया ने प्रकाशित किया है। वहीं सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक का पुरस्कार असमी लेखक मनोज बर्जापुरी ने जीता।