यह ख़बर 21 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

'मद्रास कैफे' को लेकर विवाद प्रचार का हथकंडा नहीं : जॉन

खास बातें

  • अपनी फिल्म 'मद्रास कैफे' के विवादों में घिरने से अभिनेता और निर्माता जॉन अब्राहम काफी दुखी हैं। जॉन का कहना है कि फिल्म के प्रचार के लिए विवादों का सहारा लेने का उनका कोई इरादा नहीं था।
नई दिल्ली:

अपनी फिल्म 'मद्रास कैफे' के विवादों में घिरने से अभिनेता और निर्माता जॉन अब्राहम काफी दुखी हैं। जॉन का कहना है कि फिल्म के प्रचार के लिए विवादों का सहारा लेने का उनका कोई इरादा नहीं था।

जॉन के प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म 'मद्रास कैफे' का निर्देशन सुजित सरकार ने किया है। यह फिल्म 80 के दशक के उत्तरार्ध और 90 के दशक के शुरुआती सालों के बीच भारत और श्रीलंका के संबंधों की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

यह थ्रिलर जासूसी, राजनीतिक और सैन्य पृष्ठभूमि पर बनी है। फिल्म में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और श्रीलंका के उग्रवादी समूह लिट्टे की गतिविधियों को एक खुफिया एजेंट के नजरिये से दिखाया गया है। जॉन खुफिया एजेंट की भूमिका में हैं।

जॉन ने पीटीआई को बताया, मुझे नहीं लगता कि हमने यह फिल्म विवाद पैदा करने के उद्देश्य से बनाई है और न ही यह हमारा प्रचार का हथकंडा है। जो हो रहा है, उससे हम बेहद दुखी हैं, क्योंकि फिल्म की रिलीज की तारीख भी करीब है।

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एमडीएमके नेता वाइको, सीमन, 'नाम थामीझार काची' (वी तमिल पार्टी) के संस्थापक और अन्य तमिल समर्थक संगठनों ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका आरोप है कि फिल्म में लिट्टे को गलत तरीके दर्शाया गया है। 40-वर्षीय जॉन अब्राहम ने कहा, लोकतंत्र और सरकार में हमारी पूरी आस्था है और उम्मीद है कि लोग फिल्म देखने जरूर आएंगे।