रिव्यू : 'एक अदभुत दक्षिणा गुरु दक्षिणा' को 3 स्टार

मुंबई:

फ़िल्म 'एक अद्भुत दक्षिण गुरु दक्षिणा' आधारित है नृत्य के ऊपर और फिल्म की कहानी है देव नाम के एक ऐसे अनाथ लड़के की, जिसे बाल सुधार गृह से गुरु जी यानी गिरीश कर्नार्ड अपने आश्रम ले आते हैं।

देव एक अच्छा डांसर बनता है और गुरु जी के आश्रम की देख-भाल करता है, मगर गुरु जी की बेटी सोना से उसे प्रेम हो जाता है।

सोना किसी और से शादी कर लेती है। देव आश्रम छोड़कर चला जाता है और एक दिन वापस आता है अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने।

किरण फड़णीस का निर्देशन अच्छा है और लगता नहीं कि उनकी ये पहली फ़िल्म है। देश के सुंदर दृश्यों को फिल्म में सुंदरता से कैमरे में क़ैद किया गया है। 'एक अद्भुत दक्षिण गुरु दक्षिणा' का क्लाइमेक्स भी सोच से थोड़ा अलग है, साथ ही फिल्म का का विषय भी आकर्षक है।

फिल्म के सभी कलाकारों ने अच्छी भूमिका निभाई है। कहानी को प्रस्तुत करने का तरीका भी अच्छा है, मगर अफ़सोस की बात है कि इन सब अच्छाइयों से फिल्में नहीं चलतीं। फ़िल्म को चलाने के लिए मनोरंजन और स्क्रिप्ट पर पकड़ ज़रूरी है और इसी की कमी है 'एक अद्भुत दक्षिणा गुरु दक्षिणा' में। फ़िल्म का पेस स्लो है और मनोरंजन व अच्छी स्क्रिप्ट का इस फिल्म में अभाव है।  

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फ़िल्म में बंगाल के पारंपरिक नृत्य 'छांव' को अच्छे तरीके से दर्शाया गया है। एक आर्टिस्टिक फ़िल्म बनाने की कोशिश की गई और ये मेहनत परदे पर भी दिखती है। इसलिए फ़िल्म 'एक अद्भुत दक्षिणा गुरु दक्षिणा के लिए' रेटिंग है 3 स्टार।