फिल्म रिव्यू : 'गुड्डू रंगीला' की कहानी में कुछ भी नया नहीं

फिल्म रिव्यू : 'गुड्डू रंगीला' की कहानी में कुछ भी नया नहीं

मुंबई:

हस हफ्ते रिलीज़ हुई है 'गुड्डू रंगीला' जिसे लिखा और डायरेक्ट किया है सुभाष कपूर ने। सुभाष इससे पहले नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी फिल्म 'जॉली एलएलबी' बना चुके हैं।

'गुड्डू रंगीला' में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं अरशद वारसी, अमित साद, अदिति राव हैदरी, विजय राज, रोनित रॉय और ब्रिजेंद्र काला ने। गुड्डू और रंगीला एक साथ लोगों के घरों में जागरण करते हैं। वे जिन-जिन घरों में जागरण करने पहुंचते हैं, उन घरों की संपत्ति की जानकारी बतौर मुखबीर डाकुओं तक पहुंचाते हैं, जिसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं। इससे ज़्यादा कहानी जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी। बात फ़िल्म की ख़ामियों और खूबियों की।

फिल्म की खामियां

कहानी में नयापन नहीं है। फिल्म को एक कॉमेडी फिल्म की तरह प्रमोट किया गया, जिसके कारण कइयों को मायूसी हुई। कहानी के मोड़ पहले ही समझ आ जाते हैं। अरशद वारसी की एक्टिंग में कुछ नया देखने को नहीं मिला, वो पहले भी पर्दे पर ऐसे दिखते रहे हैं। फिल्म की असल कहानी थोड़ी देर बाद आगे बढ़ती है।

फिल्म में क्या है खास

अगर खूबियों की बात की जाए, तो फिल्म का स्क्रीनप्ले कसा हुआ है। कुछ डायलॉग आपको हंसाएंगे। अदिति राव हैदरी ने अच्छा काम किया है। उनकी बाकी फिल्में देखें तो 'गुड्डू रंगीला' में अदिति का काम कुछ अलग है। फिल्म की पृष्ठभूमि और किरदार अच्छे हैं। अरशद के क़िरदार में नयापन नहीं, लेकिन अपना काम पूरी ईमानदारी से किया।

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अमित साद और बाकी किरदार भी ठीकठाक हैं, पर बाज़ी मारी रोनित रॉय ने जिनका क़िरदार बेहद संजीदा है। यह फिल्म खाप जैसे सामाजिक मुद्दे पर रोशनी डालती है। संगीत की बात की जाए तो गाना 'माता का ईमेल' पहले से चर्चा में है और सुनने में मजेदार लगा। मेरी ओर से फ़िल्म को 2.5 स्टार...