मुंबई: अरशद वारसी , जैकी भगनानी और लॉरेन गोट्टलिब की 'वेलकम 2 कराची' इस शुक्रवार सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। निर्देशक आशीष आर मोहन की फ़िल्म 'वेलकम 2 कराची' पाकिस्तान में फंसे दो भारतीयों की कहानी है। ये एक राजनीतिक व्यंग है, जो पाकिस्तान-भारत के संबंधों पर आधारित है। फिल्म की कहानी हॉलीवुड फिल्म 'डंब एंड डंबर' से प्रेरित दिखती है। फ़िल्म को लिखा है व्रजेश हिरजी ने।
फ़िल्म की कहानी दो दास्तों शम्मी यानी अरशद और केदार पटेल यानी जैकी भगनानी की है, जो गुजरात में रहते हैं। केदार का सपना है कि वह एक दिन अमेरिका जाए जिसके जुगाड़ में कभी वो अपना सरनेम बदलता है तो कभी वीज़ा की जद्दोज़हद। ऐसे में ये दोनों दोस्त तय करते हैं कि बोट से ही अमेरिका के लिए रवाना हो जाएंगे पर, बोट डूब जाती है और अमेरिका के बजाये ये कराची पहुंच जाते हैं। यहां से शुरू होती हैं ऐसी कई घटनाएं, जो कॉमेडी के साथ-साथ बेवकूफ़ी से भरी नज़र आती हैं। दोनों का मकसद अब है भारत लौटना पर क्या वे इसमें कामयाब होते हैं? ये जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी।
ख़ामियों और खूबियों की बात करें तो अरशद वारसी की जितनी क्षमता है फ़िल्म में उनका कम इस्तेमाल हुआ है। हालांकि फ़िल्म में कई जगह आपको वह ज़रूर हंसाएंगे। वहीं जैकी भगनानी की अदाकारी पिछली फ़िल्मों से थोड़ी बेहतर है पर यहां अपनी छाप वह भी नहीं छोड़ पाए। लॉरेन गॉट्टलिब चुनिंदा 4-5 सीन में दिखती हैं, जहां उनको कुछ ख़ास करने का मौका ही नहीं मिला।
फ़िल्म के पहले भाग में आपको खूब हंसी आएगी पर इस कॉमेडी के लिए फ़िल्म में कई फूहड़ और कमज़ोर सीन्स डाले गए हैं। दूसरे भाग में दर्शकों को भावुक करने के लिए लेखक-निर्देशक कहानी में ट्विस्ट लाते हैं पर इससे फ़िल्म का ढांचा और बिगड़ जाता है।
फ़िल्म का संगीत जीत गांगुली और रोचक कोहली ने दिया है, जो ठीक-ठाक है। बैकग्राउंड स्कोर कई जगह शोर मचाता है। 'वेलकम 2 कराची' एक एवरेज फ़िल्म है और मेरी ओर से इसे 2 स्टार्स।