कम वज़न वाले बच्चों को ‘ओस्टियोपेनिया’ का खतरा

कम वज़न वाले बच्चों को ‘ओस्टियोपेनिया’ का खतरा

न्यूयॉर्क:

कई बार ऐसा होता है कि बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है, जिसके चलते वह कमजोर होता है। समय पूर्व पैदा होने वाले बच्चे वज़न में भी काफी कम होते हैं और उन शिशुओं (वीएलबीडब्ल्यू) की हड्डियां भी कमजोर (ओस्टियोपेनिया) होती हैं। ऐसे में भविष्य में बच्चे की हड्डी टूटने का डर हो सकता है।

पत्रिका ‘कैल्सिफाइड टिशू इंटरनैशनल एंड मस्क्यूलोस्केलेटल रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने शोध में इस बात का पता लगाया कि रोजाना किए जाने वाले श्रम को बढ़ाने से हड्डियों को मज़बूत कर उन पर प्रभाव डाला जा सकता है या नहीं?

अध्ययन के मुताबिक, दिनचर्या के सामान्य कार्यों से बड़ी हड्डियों की मजबूती तथा उनके चयापचय पर सकारात्मक असर पड़ता है। इस अध्ययन को साबित करने के लिए करीब 34 वीएलबीडब्ल्यू बच्चों पर शोध किया गया।

शुरुआत में सभी बच्चों के औसत बोन मांस की तुलना की गई, जिसमें सभी समूहों में कमी पाई गई। हालांकि बाद में सभी बच्चों के वज़न में बढ़ोतरी देखी गई। इसके अलावा जिन 13 शिशुओं को रोजाना दो बार व्यायाम कराया गया, उनके बोन मांस में कमी की दर बेहद कम देखी गई। वहीं, जिन 12 शिशुओं को रोजाना एक बार व्यायाम कराया गया, उनके बोन मांस में कमी की दर पहले समूह की अपेक्षा अधिक देखी गई।

तेल-अवीव यूनिवर्सिटी के इता लितमानोवित्ज ने बताया कि “हमारा अध्ययन यह दर्शाता है कि वीएलबीडब्ल्यू शिशुओं में बोन मांस का संबंध व्यायाम से है और इस पर अधिक शोध की ज़रूरत है”।

(इनपुट्स आईएएनएस से)


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