लंदन: लोग अपने स्वास्थ्य को देखते हुए दूध वाले उत्पादों में अलग से चीनी मिलाना प्रिफर नहीं करते हैं। उनको लगता है कि ऐसा करने से वे या तो मोटे हो जाएंगे, या उनका स्टैमिना प्रभावित होगा। दूध उत्पादों में अलग से चीनी मिलाने के कारण, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग इसे खाने से बचते हैं। ऐसा करने वालों के लिए एक खुशखबरी है, क्योंकि डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने मीठा दही जमाने में सफलता पाई है।
शोधकर्ताओं की टीम ने दही जमाने वाले बैक्टीरिया के चयापचय गुण में बदलाव लाकर, प्राकृतिक रूप से उसे मीठा बनाने में कामयाबी हासिल की है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने माइक्रोबायोलॉज़िस्ट तरीकों के उपयोग से दही के लैक्टोस को पूरी तरह निकालने का तरीका भी ढूंढ निकाला है।
तो अब वे लोग भी मजे से दही खा सकेंगे, जिन्हें दूध उत्पाद पचता नहीं है। डेनमार्क की बहुराष्ट्रीय बॉयोसाइंस कंपनी हेंसन होल्डिंग के उपाध्यक्ष व शोधकर्ता एरिक जोहानसन का कहना है कि “हमारा लक्ष्य यह था कि दही में पाए जाने वाले बैक्टीरिया, ग्लूकोज़ को न पचा पाएं, जो चीनी का एक मीठा रूप होता है। हम चाहते थे कि वे लोग ग्लूकोज़ का सेवन करते हुए वापस ग्लूकोज़ ही निकालें”।
यह शोध ‘एप्लाइड एंड एनवायरनमेंटल माइक्रोबायलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है।