दिल्ली की धूंध से लोग परेशान, अस्थमा और सांस लेने से संबंधित मामलों में हो रही बढ़ोतरी

दिल्ली की धूंध से लोग परेशान, अस्थमा और सांस लेने से संबंधित मामलों में हो रही बढ़ोतरी

नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते जहां एक ओर दिल्ली सरकार ने तीन दिन के स्कूल बंद कर दिए हैं, वहीं, बच्चों और ख़ासकर बूढ़ों में इससे कई बीमारियां पैदा हो रही हैं। सांस लेने में परेशानी, अस्थमा, ख़ांसी, जुख़ाम, आंखों में जलन, आंखों से पानी आने की शिकायतें बढ़ती ही जा रही हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार ने कई ऐसे सुझाव दिए हैं, जिनकी मदद से प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन फिर भी डॉक्टर्स की अगर मानें, तो यह वायु प्रदूषण मरीज के लिए जानलेवा तक साबित हो सकता है।

पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध की वज़ह से घातक वायु की मोटी परत में लिपटी दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत हो रही है। हॉस्पिटल में अस्थाम और इससे होने वाली एलर्जी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि नए मामले सामने आने के साथ ही पहले से ही दमा, एलर्जी या अन्य संबंधित विकारों से ग्रस्त लोगों के लिए स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ गई हैं। सर गंगाराम अस्पताल में औषधि विभाग के अध्यक्ष एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एसपी ब्योत्रा का कहना है कि “पहले हमारे अस्पताल में प्रदूषण से संबंधित बीमारी के 15 से 20 प्रतिशत मामले ही सामने आते थे। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 60 फीसदी हो चुकी है”।

उनका कहना है कि सर्वाधिक आम समस्या श्वसन संबंधी होती है। लेकिन इस बार हम धुंध की वजह से सांस लेने में गंभीर परेशानी, खांसी और छींक तथा ब्रोंकाइटिस के मामले बड़ी संख्या में देख रहे हैं। बच्चे और बुजुर्ग धुंध तथा प्रदूषण के चलते संक्रमण और एलर्जी के प्रति अधिक संवेदनशील होते जा रहे हैं। इसलिए उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और सुबह तथा शाम के समय बाहर निकलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह दो ऐसे समय हैं, जब प्रदूषण का स्तर सबसे ज़्यादा खतरनाक होता है। दिल्ली पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध का सामना कर रही है।

केंद्र ने इसे “आपातकालीन स्थिति” करार दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा अनुमान है कि विश्व की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी एलर्जिक अस्थमा, एलर्जिक राइनिटिस और एलर्जिक कंजक्टीवाइटिस, एटापिक एग्जिमा और ऐनफिलैक्सिज जैसे एलर्जी रोगों से पीड़ित हैं। वसंत कुंज स्थित फॉर्टिस अस्पताल में बाल रोग विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. राहुल नागपाल का कहना है कि “जो लोग इस तरह की बीमारियों से पहले से ही पीड़ित हैं, उनको ज़्यादा दिक्कत आ रही है। बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि इससे उनकी इम्यूनिटी कम हो रही है। इसलिए संक्रमण को सही होने में भी अधिक समय लग रहा है”। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से शहर को अपनी चपेट में ले रही धुंध की मोटी परत के चलते खांसी, छींक और आंखों तथा त्वचा की एलर्जी के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कंसल्टेंट (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. सुरनजीत चटर्जी का कहना है कि “मामलों में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी हुई है और कई बीमारियों में संख्या दोगुनी भी हुई है। प्रदूषण की वजह से सबसे ज़्यादा प्रभावित बुजुर्ग हो रहे हैं”।

(इनपुट्स भाषा से भी)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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