इस नई चिकित्सा थैरेपी से बुजुर्गों को मिल सकेगा नया जीवन

इस नई चिकित्सा थैरेपी से बुजुर्गों को मिल सकेगा नया जीवन

मुंबई:

पिछले कुछ सालों से देश में साठ साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या बढ़ने से उनके स्वास्थ्य के बारे में तेज होती चिंता के बीच चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा है कि अब देश में बुजुर्गों के लिए पहले से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हैं।
लीलावती अस्पताल के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ शाहिद मर्चेन्ट ने कहा कि “परक्यूटेनियस वॉल्व रिप्लेसमेंट, घुलनशील स्टेन्ट्स, जटिल बीमारियों के लिए उपकरण, हृदय के लिए पेसमेकर के साथ बेहतर फर्मेकोथैरेपी तथा हृदय की देखरेख संबंधी कार्यक्रम आदि से बुजुर्ग मरीजों को नया जीवन मिल सकता है”।

मर्चेन्ट ने एक अध्ययन ‘एल्डरली इन इंडिया’ का हवाला देते हुए कहा कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश के बुजुर्गों की संख्या कुल जनसंख्या का 8.2 प्रतिशत है। यह अध्ययन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से किया गया था।

आंकड़ों के अनुसार, देश में साल 2021 तक बुजुर्गों की संख्या बढ़कर 10.7 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जबकि 2026 तक यह संख्या कुल आबादी की 12.4 प्रतिशत के बराबर हो जाएगी। मर्चेन्ट का कहना है कि “देश में बेहतर होते आर्थिक मानकों के कारण बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। बुजुर्गों के लिए हृदय संबंधी उपचार की नयी खोजों से भी बुजुर्गों को नया जीवन मिल रहा है”।

बेंगलूरु के प्रख्यात बैरिएट्रिक सर्जन और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विशेषज्ञ एम जी भट्ट ने कहा कि “बुजुर्ग लोगों में एनीस्थीसिया और सर्जरी के समय सहरग्णता का खतरा ज्यादा होता है। वजन अधिक होने पर यह खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है। वहीं, अगर व्यक्ति वजन कम करे, तो इसमें बहुत सुधार दिखाई दे सकता है। ऐसे में वे अपना चलना फिरना बढ़ा सकते हैं, जिससे सहरग्णता की स्थितियों में भी सुधार आता है”।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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