दुनिया का सबसे पुराना वेज रेस्तरां आज भी है स्विटज़रलैंड में हिट

हॉस हिलटल, स्वीज़रलैंड में स्थित दुनिया का सबसे पुराना रेस्तरां है, जो लोगों में काफी लोकप्रिय है यह भारतीय व्यंजनों की एक बड़ी रेंज ऑफर करता है.

दुनिया का सबसे पुराना वेज रेस्तरां आज भी है स्विटज़रलैंड में हिट

नई दिल्ली:

हॉस हिलटल, स्विटज़रलैंड में स्थित दुनिया का सबसे पुराना रेस्तरां है, जो अभी भी लोगों में काफी लोकप्रिय है। यह भारतीय व्यंजनों की एक बड़ी रेंज ऑफर करता है। पालक पनीर से लेकर सांबर वड़ा तक इनकी मेन्यू लिस्ट में शामिल है। विश्व में सबसे पुराने ऑपरेशनल शाकाहारी रेस्तरां के चलते 2012 में इसे गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रमाणित किया गया। यह 1898 में कुछ जर्मन लोगों द्वारा खोला गया था। स्वस्थ रहने और शाकाहारी खाने को फेमस बनाने के लिए ‘वेजिटेरियहम एजी' के रूप में इसे खोला गया था।

 

 

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने ज्यूरिख के सिल्सत्रासे स्थित इस रेस्तरां के खाने का स्वाद चखा था। उन्होंने अपनी सरकारी यात्रा के दौरान खाने की इन जगहों का दौरा किया था। रेस्तरां के मैनेजर ब्रिजेट हेडिगर का कहना है कि, “ हमारे यहां पूरी दुनिया से कस्टमर आते हैं। वह लगभग हर तरह की डिश का स्वाद चखना पसंद करते हैं और उसी स्वाद के साथ वह वापस जाते हैं ।” हेडिगर ने आगे बताया, “जो लोग स्विटज़लैंड घूमने आते हैं वह यहां के खाने का स्वाद चखना कभी नहीं भूलते। यहां का टेस्ट उन्हें यहां खींच ही लाता है”। रेस्तरां खोलने वाले मारगरिथ की बहू ने एक बार शाकाहारी फूड के बारे में ज़्यादा जानकारी लेने के लिए नई दिल्ली की ओर रुख किया, ताकि अपने रेस्तरां में व्यंजनों को पूरी तरह से भारतीय टच दे सके। उन्होंने भारत में आकर यहां से टेस्टी, लज़ीज और मुंह में पानी ला देने वाले व्यंजनों के बारे में जाना और उन्हें अपने मेन्यू में जगह दी, जो आज भी काफी फेमस हैं।
ब्रिजेट का कहना है कि, “हमारे पास मेन्यू में डिश, स्वादिष्ट फूड और हेल्दी ड्रिंक्स की काफी वैरायटी है। यहां आपको इंडिया से लेकर ग्रीस, थाई से लेबनान और यूरोप से लेकर अफ्रीका तक के व्यंजन मिल जाएंगे। हम अपने कस्टमर को कभी उदास नहीं करते और हमने अपने मेन्यू में हर उस डिश को जगह दी है, जिसे वह टेस्ट करना चाहते हैं।” 1898 में जिस समय यह रेस्तरां खुला था, उसी समय यूरोप के कई हिस्सों में शाकाहारी लोगों को ‘ग्रेजर' (घास खाने वाला) करार दिया गया था। यह तब तक सफल साबित नहीं हुआ, जब तक इसका प्रबंधन का काम टेलर एमब्रोसियस हिलटल के हाथों में नहीं आया।

 

 

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हिलटल एक टेलर था, जिसने अपनी बीमारी के चलते अपने काम को छोड़ दिया था। बीमारी से बचने के लिए उसे प्राकृतिक चिकित्सा का इलाज़ बताया गया और इसके लिए उसे नॉन-वेज छोड़कर शाकाहारी खाना ही डाइट में शामिल करने की सलाह दी गई। काफी अभ्यास के बाद वह शाकाहारी व्यंजनों को अपनी लिस्ट में शामिल कर, बीमारी को दूर कर पाया। हिलटल की इस बीमारी ने उसे शाकाहारी बना दिया। हिलटल 1903 में रेस्तरां का मैनेजर बना, जिसमें उसकी पत्नी ने उसे पूरी तरह से सपोर्ट किया। अब यह रेस्तरां हिलटल की चौथी पीढ़ी द्वारा चलाया जा रहा है, जो कि लोगों में उतना ही फेमस है, जितना पहले हुआ करता था। भारतीय, जो ज्यूरिख में घर के खाने की तलाश में रहते हैं, हिलटल उनके लिए बेस्ट ऑप्शन है। उन्हें ध्यान में रखते हुए यहां के मेन्यू में करी के साथ-साथ चटनी, सलाद, सांबर वड़ा, पालक पनीर, बनाना मद्रास और भारतीय थाली मौजूद है।

 

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