जी हां, इस सर्जरी को कराने से खत्म हो सकेगी टाइप-2 डायबिटीज़ की समस्या

जी हां, इस सर्जरी को कराने से खत्म हो सकेगी टाइप-2 डायबिटीज़ की समस्या

नई दिल्ली:

दिल्ली में रहने वालीं 46 साल की हाउसवाइफ अंशु जैन, डायबिटीज़ की मरीज थीं। वह हाईपरटेंशन, नींद न आने की समस्या, टेंशन, ज़इंट्स में समस्या होना तथा कई अन्य परेशानियों से पीड़ित थीं। उन्होंने नवंबर 2012 में मेटाबॉलिक व बैरिएट्रिक सर्जरी कराई थी, तब उनका वजन 127.5 किलो था। लेकिन 18 महीने के अंदर उन्होंने अपना वज़न 39.5 किलोग्राम तक कम कर लिया था, जिसके बाद वह 88 किलोग्राम की हो गई थीं और उनका बीएमआई 46 से 30.7 के बीच में आ गया था। इसके चलते उनकी डायबिटीज़ की समस्या भी हल हो गई। एचबीए1सी 7.8 से घटकर 5.3 पर आ गया था। साथ ही उनके शरीर में लगी बाकी की बीमारियां भी ठीक होने लगी थीं। ऐसे ही कई अन्य मरीज भी डायबिटीज़ की समस्या से छुटकारा पा चुके हैं।

यह माना जाता है कि टाइप-2 डायबिटीज़ का ठीक होना नामुमकिन होता है। लेकिन, अब मोटापे से पीड़ित लोगों का मेटाबॉलिक सर्जरी से इलाज संभव है। डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज़ का सीधा संबंध मोटापे से होता है। सिर्फ यही नहीं, मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़ के होने का 85 प्रतिशत तक कारण बन सकता है। मेडिकल शब्दों में इसे मेटाबॉलिक डिस्फंक्शन कहा जाता है।
 


फोर्टिस हॉस्पिटल के मेटाबॉलिक व बैरिएट्रिक सर्जरी के डायरेक्टर तथा हेड डॉ. अतुल पीटर्स ने बताया कि “डायबिटीज़ के लिए सबसे बड़ा कारण मोटापा है। मोटापे से सेल्स पर इंसुलिन का प्रभाव कम पड़ता है, जिसकी वज़ह से ब्लड सेल्स में सूक्रोज़ की मात्रा नहीं जा पाती। जब आप पहले से ही इंसुलिन रेजिस्टेंट (डायबिटिक या प्री-डायबिटिक) होते हैं, तो वज़न कम करना और भी मुश्किल हो जाता है”।

डॉ. पीटर्स का दावा है कि “पारंपरिक उपचार की तुलना में सर्जिकल उपचार, डायबिटीज़ के नियंत्रण में अधिक प्रभावी है”। पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल करने वालों से सर्जरी कराने वाले मरीजों में ज़्यादा प्रगति देखने को मिली है। इसके अलावा गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी कराने वाले करीब 85 प्रतिशत मरीजों को लाभ मिला है और उन्हें डायबिटीज़ जैसी समस्या से भी छुटकारा मिला है।

मेटाबॉलिक सर्जरी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अनुसार “भारत में डायबिटीज़ के उपचार के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी कराने का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ रहा है। साल 2011 में करीब 3,500 लोगों ने यह सर्जरी कराई थी, जबकि साल 2013 में करीब 10,000 लोग ये सर्जरी करा चुके हैं। अभी भारत में हर साल करीब 12,000 बैरिएट्रिक सर्जरी होती हैं।

सर्जरी के बाद ध्यान में रखने वाली कुछ ख़ास बातें...
सर्जरी के अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए मरीज को सर्जरी के बाद एक महीने तक आहार के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। पहले महीने में मरीज को 15 दिन तक लिक्विड डाइट दी जाती है। इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें हल्का भोजन देना शुरू करना चाहिए। थोड़े और दिनों के बाद आप मरीज को सामान्य आहार दे सकते हैं।
 

इसके अलावा मरीज को कुछ समय तक भरपेट खाने से बचना चाहिए, क्योंकि सर्जरी के बाद व्यक्ति को पेट भरने का अहसास होने से पहले ही खाना बंद करना होता है। सिर्फ यही नहीं, उन्हें रोज़ आधा घंटा एक्सरसाइज़ भी करना ज़रूरी होती है।

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मरीज, जिनका बीएमआई 40 किलोग्राम प्रति मीटर स्क्वॉयर से ज़्यादा या डायबिटीज़ जैसी समस्या के साथ 35 किलोग्राम प्रति मीटर स्क्वॉयर से अधिक है, उनके लिए सर्जरी को खतरनाक बताया जा रहा है। इसलिए सर्जरी कराने से पहले अपना बीएमआई चेक कराना न भूलें।

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)