यह ख़बर 04 अप्रैल, 2014 को प्रकाशित हुई थी

केरल की बलात्कार पीड़िता को मिला 18 साल बाद न्याय

फाइल फोटो

कोच्चि:

दिल दहला वाले सूर्यानेल्ली बलात्कार मामले के 18 साल बाद केरल हाईकोर्ट ने प्रमुख आरोपी धर्मराजन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि 23 अन्य आरोपियों की सजा को वैध ठहराया गया।

न्यायमूर्ति केटी शंकरन एवं न्यायमूर्ति एमएल जोसेफ फ्रांसिस की विशेष पीठ ने आरोपियों की अपील पर यह फैसला सुनाया।

घटना के समय पीड़िता अल्पवय थी। उसे आरोपी केरल एवं तमिलनाडु के विभिन्न स्थलों पर ले गए। चालीस दिनों में 3000 किमी की यात्रा के दौरान विभिन्न जगह पर 40 से ज्यादा लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे 26 फरवरी 1996 को रिहा किया गया।

मामले में 36 आरोपी थे, जिनमें मुकदमे के दौरान पांच की मौत हो गई। इस मामले की नए सिरे से सुनवाई के लिए बनाई गई पीठ ने सात आरोपियों को बरी कर दिया।

अदालत ने आरोपियों को पांच से लेकर 13 साल तक की सजा सुनाई है तथा 23 आरोपियों पर जुर्माना लगाया गया है।

पहले आरोपी एवं इडुक्की में बस चालक राजू और दूसरी आरोपी उषा को अल्पवय लड़की को अपने कब्जे में लेने और अन्य आरोपियों को सौंपने के लिए 13 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है।

पीठ ने पीड़िता के चरित्र के बारे में आरोपियों के नजरिये को भी खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया था कि लड़की ने उनके कब्जे से भागने का प्रयास नहीं किया, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया।

हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता को धर्मराजन ने जाल में फंसाया, डराया और धमकाया। पीठ ने कोट्टयम की सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा को वैध ठहराया है। उसने आरोपियों के इस आरोप को खारिज कर दिया कि पीड़िता चरित्रहीन थी और वह यदि चाहती तो बंधन से बचकर निकल सकती थी।

पीड़िता ने कहा कि वह राजू के प्रेम में फंस गई थी और उसने अपने सोने के गहनों को भी गिरवी रख दिया था। न्यायाधीशों ने कहा, लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता कि वह एक पथभ्रष्ट लड़की है। अदालत ने यह भी कहा कि उसने धन या लिप्सा के लिए अपना घर नहीं छोड़ा। इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। उसने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि पीड़िता एक ‘बाल वेश्या’ थी।

राज्य में बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर चिंता जताते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि इससे राज्य के मामलों के बारे में पता चलता है।

निचली अदालत के निष्कर्षों को पूरी तरह से जायज ठहराते हुए उन्होंने कहा, बलात्कार से पीड़िता का भौतिक शरीर पूरी तरह से तबाह और खत्म हो जाता है। अदालत ने 2005 में मामले के सभी 35 आरोपियों को बरी कर दिया था तथा आरोपियों द्वारा दायर की गई अपील पर धर्मराजन की सजा को आजीवन कारावास को घटाकर पांच साल कर दिया था।

राज्य सरकार और पीड़िता ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष न्यायालय ने अदालत को एक नई पीठ गठित कर अपील पर नए सिरे से सुनवाई करने को कहा। पीठ पिछले साल फरवरी में गठित की गई।

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फरार चल रहे धर्मराजन को पिछले 15 फरवरी को कर्नाटक के सागर में उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह एक टेलीविजन चैनल पर दिखाई दिया था। फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीड़िता ने टेलीविजन चैनलों से कहा कि वह फैसले से प्रसन्न है।