यह ख़बर 09 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

1984 सिख विरोधी दंगे : तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा

खास बातें

  • दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से सम्बंधित 29 वर्ष पुराने एक मामले में दोषी ठहराए गए पांच में से तीन मुजरिमों को गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से सम्बंधित 29 वर्ष पुराने एक मामले में दोषी ठहराए गए पांच में से तीन मुजरिमों को गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेआर आर्यन ने बलवान खोक्कर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को उम्र कैद की सजा सुनाई। अदालत ने इन तीनों को 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों के दौरान पांच सिखों की हत्या करने का दोषी ठहराया था।

दंगा करने के जुर्म में दोषी ठहराए गए दो अन्य दोषियों पूर्व पार्षद महेंद्र यादव और पूर्व विधायक किशन खोक्कर को तीन वर्ष जेल की सजा सुनाई गई। हालांकि अदालत ने यादव और खोक्कर दोनों को जमानत प्रदान कर दी।

न्यायाधीश ने इसके साथ ही पांचों दोषियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जिस मामले में पांचों व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया था वह पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंद्र सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या से संबंधित है। इन सिखों की दिल्ली छावनी इलाके में स्थित राजनगर में भीड़ ने हत्या कर दी थी। इस वारदात के शिकार एक ही परिवार के सदस्य थे।

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार भी इस मामले में आरोपी थे लेकिन अदालत ने उन्हें गत 30 अप्रैल को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि कुमार ‘संदेह का लाभ’ के हकदार हैं क्योंकि पीड़ितों में से एक और प्रमुख गवाह जगदीश कौर ने वर्ष 1985 में न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र के समक्ष दर्ज कराए अपने बयान में उनका नाम आरोपी के रूप में नहीं लिया था।

इससे पहले सजा पर बहस के दौरान सीबीआई ने बलवान खोक्कर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को यह कहते हुए मौत की सजा दिए जाने की मांग की कि वे ‘योजनाबद्ध साम्प्रदायिक दंगे’ और ‘धार्मिक रूप से नरसंहार’ में शामिल थे।

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सीबीआई अभियोजक आरएस चीमा ने कहा, ‘यह योजनाबद्ध साम्प्रदायिक दंगा था जिसमें पीड़ित अलग थलग हो गए थे। पीड़ित पूरी तरह से बेगुनाह थे और उन्होंने किसी को भड़काया नहीं था।’