यह ख़बर 13 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

1984 दंगा : डीएसजीएमसी ने गुजरात की तर्ज पर एसआईटी की मांग की

सिख विरोधी दंगे की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) ने गुरुवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए गुजरात की तर्ज पर यहां भी विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाना चाहिए जो उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश की निगरानी में काम करे।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पूर्व की दिल्ली सरकार ने इस मामले पर जिस एसआईटी के गठन की सिफारिश की थी, उसमें कोई दम नहीं है।

जीके ने कहा, ‘हाल के दिनों हमने केंद्रीय गृहमंत्री (राजनाथ सिंह) के साथ कई दौर की बातचीत की है। उन्हें हमने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपे हैं।.. हम चाहते हैं कि जिस तरह से गुजरात दंगों के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एसआईटी का गठन हुआ था, उसी तरह 1984 के मामले की जांच के लिए भी उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में एसआईटी का गठन होना चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'केजरीवाल ने जिस एसआईटी के गठन की अनुशंसा की थी, वो बिना दांत वाली है। यह सिर्फ एक राजनीतिक हथकंडा था। हम इस तरह की एसआईटी को खारिज करते हैं। ऐसी एसआईटी का गठन होना चाहिए जिसके पास नए सिरे से प्राथमिकी दर्ज करने तथा उन मामलों को फिर खोलने की क्षमता हो, जिन्हें बंद किया जा चुका है।'

अकाली दल के नेता जीके ने कहा, 'यह बड़े अफसोस की बात है कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र तैयार किया, लेकिन इसे अदालत में पेश नहीं किया गया। हम इंसाफ के लिए 30 वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। अब केंद्र में हमारी सहयोगी पार्टी के नेतृत्व में सरकार है। हम उम्मीद करते हैं कि इस सरकार में हमें इंसाफ मिलने का रास्ता खुलेगा।'

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डीएसजीएमसी ने उन लोगों को भी माफी देने की मांग की जिन्होंने 1984 के बाद से दूसरे देशों में राजनीतिक शरण ले ली।