आख़िर राहुल गांधी क्यों नहीं ले रहे दो साल के जश्न के मौक़े पर मोदी सरकार से मोर्चा?

आख़िर राहुल गांधी क्यों नहीं ले रहे दो साल के जश्न के मौक़े पर मोदी सरकार से मोर्चा?

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार के दो साल पूरा होने के मौक़े पर कांग्रेस जी जान से सरकार को घेरने में लगी है। पार्टी का बड़े नेता इस मौके पर आंकड़ों और आरोपों के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस जिस राहुल गांधी के चेहरे के साथ मोदी सरकार को टक्कर देने की कोशिश में है उसे इस मौक़े पर पीछे रखे हुए है।

ऐसा नहीं कि राहुल गर्मी छुट्टी मनाने विदेश में हैं। वे देश में और दिल्ली में ही हैं। शनिवार को बिजली पानी संकट के मुद्दे पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की तरफ़ से आयोजित मशाल जुलूस का नेतृत्व भी करेंगे। सवाल है कि पार्टी उनका इस्तेमाल मोदी सरकार पर हमला बोलने के लिए क्यों नहीं कर रही। जबकि पार्टी के दूसरे नेताओं को इस काम में लगाया गया है। इसमें शक नहीं कि कांग्रेस में कई बड़े नेता हैं लेकिन मोदी सरकार पर हमले की कमान अगर राहुल संभालते तो क्या उसका असर ज़्यादा नहीं होता?

और तो और, अब तक़रीबन हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले राहुल गांधी के दफ़्तर का ट्विटर हैंडल भी इस मुद्दे पर ख़ामोश है। पार्टी नेताओं के बयानों से इतर मोदी सरकार की विफलताओं पर राहुल ने अपने दफ़्तर के ट्विटर के ज़रिए भी कुछ नहीं बोला है। हालांकि इस बीच दूसरे मुद्दों पर उनके ट्वीट लगातार आ रहे हैं। इसमें जयललिता से लेकर ममता तक को बधाई के ट्वीट शामिल हैं।

क्या ये महज़ संयोग है या फिर इसके पीछे कोई सोची समझी रणनीति? आख़िर क्यों कांग्रेस मोदी सरकार पर हमले से राहुल को फ़िलहाल एक बयान से भी दूर रखे हुए है जबकि केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ वे सड़क पर उतरने जा रहे हैं। कांग्रेस में प्रचार के नए रणनीतिकार बने प्रशांत किशोर के हवाले से ये ख़बर सुर्ख़ियां बटोर चुकी है कि राहुल गांधी को यूपी का चेहरा बनाया जा सकता है। हालांकि कि पार्टी की तरफ़ से इसकी ना तो आधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई और ना ही खंडन। तो क्या राहुल दिल्ली की सड़कों पर पानी बिजली की समस्या उठा कर स्थानीय मुद्दों को तरजीह देने की राजनीति करते दिखना चाहते हैं। वो भी तब जब उनको इसी साल पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की बात कई नेता कर चुके हैं।

स्थानीय मुद्दों को उठाना कोई ग़लत या छोटी बात नहीं पर जब पूरी पार्टी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ रही हो तो ऐसे में सोनिया के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता का इससे दूर रहना कई पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी अखर रहा है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत तमाम बड़े नेताओं के साथ साथ मोदी सरकार के सभी मंत्री भी जब देश भर में अपनी उपलब्धियों का बखान कर रहे हों ऐसे में राहुल की चुप्पी का मतलब उनके नज़दीक़ी सलाहकार ही बता सकते हैं।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com