यह ख़बर 07 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'2जी स्पेक्ट्रम में कोई हानि नहीं, कैग आकलन गलत'

खास बातें

  • 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मूल्यांकन करने के कैग के तौर-तरीकों को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए सरकार ने कहा कि इसके आवंटन में कोई नुकसान नहीं हुआ।
नई दिल्ली:

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मूल्यांकन करने के कैग के तौर-तरीकों को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण करार देते हुए सरकार ने कहा कि इसके आवंटन में कोई राजस्व नुकसान नहीं हुआ और पहले आओ, पहले पाओ की टेलीकाम नीति वाजपेयी सरकार ने बनाई थी। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन का मूल्यांकन करने में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से अपनाए गए तौर-तरीकों से हमें काफी दु:ख हुआ है और इसमें दिखाए गए राजस्व नुकसान का कोई आधार नहीं है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान दिखाया है लेकिन सिब्बल ने दावा किया कि वास्तव में करदाताओं को कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के कारण पहले सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा और अब तथ्य सामने आने के बाद विपक्ष विशेष तौर पर भाजपा को असहज स्थिति का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 1999 में पेश टेलीकॉम नीति वास्तव में वाजपेयी के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार ने पेश की थी जबकि पूर्व राष्ट्रपति नारायणन के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और शिव सेना नेता बाल ठाकरे तक ने इसका विरोध किया था। लेकिन वाजपेयी ने इस नीति को सही करार दिया था। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए सिब्बल ने कहा, अब हम उन्हीं की नीति का अनुसरण कर रहे हैं तो 1.76 लाख करोड़ के राजस्व नुकसान की बात कही जा रही है। जो वास्तव में जनता के बीच भ्रम फैलाने का प्रयास है। मंत्री ने कहा कि दिसंबर 2002 में राजग सरकार के समय पेश 10वीं योजना के दस्तावेज में टेलीकाम क्षेत्र को आधारभूत संरचना का क्षेत्र घोषित करते हुए उसे प्रोत्साहन प्रदान करने की प्रकृति का बताया और इस संबंध में राजस्व अर्जन को मुख्य निर्धारत नहीं बनाने का जोर दिया गया था। लेकिन आज भाजपा अपनी ही नीति का विरोध करती दिख रही है।


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