पंजाब : 32 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के भीतर दिया धरना, सरकार ने बिजली सप्‍लाई काटी

पंजाब : 32 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के भीतर दिया धरना, सरकार ने बिजली सप्‍लाई काटी

खास बातें

  • सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने पेश किया अविश्‍वास प्रस्‍ताव
  • ध्वनिमत से कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव खारिज
  • सदन की कार्यवाही स्‍थगित होने के बाद भी डटे रहे कांग्रेसी विधायक
चंडीगढ़:

पंजाब विधानसभा में सोमवार को उस वक्‍त हाई-ड्रामा देखने को मिला जब स्‍पीकर द्वारा सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्‍थगित किए जाने के बावजूद कांग्रेस के 32 विधायक तीन घंटे से भी अधिक समय तक भीतर विरोध प्रदर्शन करते रहे. दरअसल कांग्रेस सत्‍तारूढ़ अकाली दल-भाजपा सरकार के खिलाफ लाए अपने अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस जारी करने पर अड़ी थी जबकि अविश्वास प्रस्ताव को सदन द्वारा ध्वनिमत से अस्वीकार किए जाने की घोषणा करते हुए स्‍पीकर चरणजीत सिंह अटवाल ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.

उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस सतलज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मामला, राज्‍य की बिगड़ती कानून-व्‍यवस्‍था, भ्रष्‍टाचार, बढ़ते माफिया ग्रुपों जैसे मुद्दों को उठाते हुए अविश्‍वास-प्रस्‍ताव लाई थी.

सदन में अकाली और बीजेपी सदस्‍यों के सदन से जाने के बाद भी कांग्रेस सदस्‍य नहीं गए और विरोधस्‍वरूप भाषण जारी रखा. इस बीच विधानसभा के कर्मचारियों द्वारा सदन की बिजली बंद कर दी. एसी और पंखों के बंद होने के बाद विधायकों को गर्मी से राहत पाने के लिए पेपर को हिलाकर हवा लेते हुए देखा गया. इनमें चार महिला विधायक भी थीं. कुछ विधायकों ने अपने मोबाइल फोन की लाइट जला ली.  

फतेहगढ़ साहिब के विधायक कुलजीत नागरा ने NDTV को बताया कि विपक्षी विधायकों को बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है और यह बादल सरकार के अमानवीय चेहरे को दिखाता है.

पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह ने अपने सहयोगियों का समर्थन किया. उन्होंने कहा,''सरकार को चर्चा से नहीं भागना चाहिए और इस समय विपक्ष का सामना करना चाहिए जब आम आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है.''

मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कांग्रेस पर ''चर्चा से भागने'' का आरोप लगाया. उन्‍होंने कहा, ''लगता है कि केवल पब्लिसिटी हथकंडे के लिए वे अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की इजाजत मांग रहे थे और गंभीरता से नहीं सोचा था कि सरकार उनकी चुनौती को इतनी तत्‍परता से स्‍वीकार करेगी. अंत में चर्चा से भागने के लिए बहाने गढ़ रहे हैं.''

उल्‍लेखनीय है कि सदन के मौजूदा मानसून सत्र के तीसरे दिन कुछ विधेयक पेश किये जाने के बाद अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की अनुमति दी थी. इस प्रस्ताव को आठ सितंबर को स्वीकार किया गया था.

चर्चा के लिए कांग्रेस सदस्यों को दिए गए समय पर नाखुश चन्नी ने अध्यक्ष से समय बढ़ाने की मांग की. नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी और भाजपा विधायक नवजोत कौर सत्ता पक्ष की सीट पर बैठी थीं. अविश्वास प्रस्ताव को मत विभाजन के लिए रखे जाने के पहले वह सदन से बाहर चली गयीं.

चन्नी ने अपने भाषण में बादल परिवार पर जमकर निशाना साधा और राज्य के पूरे तंत्र को भ्रष्ट बनाने का आरोप लगाया. इस दौरान काफी गहमागहमी रही और एक बार कांग्रेस सदस्य आसन के समक्ष भी आ गए. सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुई. दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी भी की. अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने के बाद कांग्रेस के सदस्य आसन के समीप आ गए और अध्यक्ष के आसन की ओर कागज फेंका. चन्नी अपनी सीट पर खड़े होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. उसके बाद स्‍पीकर ने कार्यवाही स्‍थगित कर दी.

 गौरतलब है कि 117 वाले सदन में 72 सदस्‍यों के साथ बादल सरकार के पास मजबूत संख्‍याबल है. हालांकि दो बागी अकाली विधायकों और बीजेपी की नवजोत कौर सिद्धू के कारण शिरोमणि अकाली दल ने सोमवार को अपने सभी सदस्‍यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था.

(एजेंसी भाषा से भी इनपुट)


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