महाराष्ट्र में पड़े अलग-अलग छापों में करीब 500 किलो 'म्याऊ-म्याऊ' ड्रग्स जब्त

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई:

जिस मेफेड्रोन यानी 'म्याउ-म्याउ' से मुंबई के अधिकांस परिवार परेशान हैं, जिसके सौदागरों को पकड़ने के लिए पुलिस के खास दस्ते बनाए गए हैं, उसी ड्रग के साथ मुंबई पुलिस का एक जवान पकड़ा गया, वह भी एक-दो किलो नहीं, पूरे 112 किलो ड्रग के साथ।

वहीं दूसरी कार्रवाई में डीआरआई ने सांगली के एक फैक्ट्री से 390 किलोग्राम ड्रग्स बरामद किया है। सतारा पुलिस के एसपी अभिनव देशमुख के मुताबिक, वहां की लोकल क्राईम ब्रांच ने एक गुप्त सूचना पर खंडाला के करीब कान्हेरी गांव के एक घर पर छापा मारा तो दंग रह गई। वहां पता चला कि वहां पार्सल रखने वाला मुंबई पुलिस का एक जवान है।

पुलिस के मुताबिक, धर्मराज कालोखे नाम का हवलदार मुंबई में अपने अफसरों को कहकर निकला था कि पिता का निधन हो गया है, लेकिन उसका असली मकसद गोवा जाकर ड्रग बेचना था। पुलिस ने उसके पास से 112 किलो ड्रग बरामद किया है।

आरोपी पुलिस सिपाही धर्मराज कालोखे मुंबई के मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन में तैनात था। वह पुलिस स्टेशन की मिल स्पेशल टीम में काम करता था। मिल स्पेशल का काम थाने के इलाके में होने वाली गुफ्त सुचनाओं को इकट्ठा करना होता है। जांच में पता चला है कि कालोखे ने ड्रग की एक खेप पुलिस स्टेशन के अपने लॉकर में भी रखी थी।

दक्षिण मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त कृष्णप्रकाश ने बताया कि सातारा पुलिस की सूचना पर उसके लॉकर को पंचों के सामने खाला गया तो उसमे 12 किलो ड्रग मिली। पुलिस को इस केस में एक महिला की भी तलाश है। पता चला है कि उसी महिला की मदद से आरोपी पुलिस वाला गोवा में ड्रग बेचने की फिराक में था।

वहीं एक दूसरी कार्रवाई में डीआरआई ने सांगली के ओंकर इंडस्ठ्री से 390 किलो 'म्याऊ म्याऊ' ड्रग बरामद किया है। मामले में कंपनी के मालिक रवींद्र कोंडुस्कर सहित कुल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सफेद सा दिखने वाला मेफेड्रोन, एमडी या म्याऊ-म्याऊ नाम के नशे में नौजवान ज्यादा है।

मुंबई में अब तक 3885 केस और 4000 के उपर गिरफ्तारी हो चुकी है। मेफेड्रोन कोई दवाई नहीं बल्कि पौधों के लिए बनी सिंथेटिक खाद है। इस सस्ते नशे का असर हेरोईन और कोकीन से भी ज्यादा होता है। इसके नशे के जाल में शहर के हजारों नौजवानों फंस चुके हैं।

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खुद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को म्याऊ-म्याऊ को एनडीपीएस कानून के तहत लाने की मांग केंद्र सरकार से करनी पड़ी। लोगों ने मोर्चे निकाले तब जाकर फरवरी महीने में इस ड्रग को भी एनडीपीएस कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया। उसके बाद से ही एनसीबी और डीआरआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय हुई हैं और बड़े पैमाने पर बरामदगी हो रही है।