सातवां वेतन आयोग : सरकार और कर्मचारी नेताओं में अलाउंसे-पेंशन पर हुई यह बातचीत

सातवां वेतन आयोग : सरकार और कर्मचारी नेताओं में अलाउंसे-पेंशन पर हुई यह बातचीत

सातवें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारी नेता और सरकार में बातचीत जारी

खास बातें

  • अलाउंसेस पर अभी तक समिति में एक बार बात हुई है
  • पेंशन के मुद्दे पर दो बार बातचीत हो चुकी है
  • 6 अक्टूबर को और फिर 13 अक्टूबर को बैठक होनी है
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने करीब 43 लाख केंद्रीय कर्मचारी और करीब 57 लाख पेंशनधारियों के लिए सातवां वेतन आयोग 1-1-2016 से लागू कर दिया है. अगस्त महीने की अंतिम तारीख को इन लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारियों के खाते में बढ़ा हुआ वेतन भी आ गया.

आधे से ज्यादा कर्मचारियों के खाते में एरियर भी आ गया है. वहीं, 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों से जुड़ी कई विसंगतियों (अनोमली) और शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार ने समितियों का गठन कर दिया था.

सरकार की इन समितियों से कर्मचारी नेताओं की बातचीत शुरू हो चुकी है. जानकारी के अनुसार अलाउंसेस पर अभी तक समिति में एक बार बात हुई है. वहीं, पेंशन के मुद्दे पर दो बार बातचीत हो चुकी है. कल यानि 6 अक्टूबर को और फिर 13 अक्टूबर को बैठक होनी है. गुरुवार को होने वाली बैठक में एक बार फिर पेंशन के मुद्दे को लिस्ट किया गया है. वहीं. 13 को होने वाली बैठक में डीओपीटी में अलाउंसेस के मुद्दे पर चर्चा निर्धारित की गई है. सूत्र बता रहे हैं कि 13 अक्टूबर को होने वाली बैठक में न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी उठेगा.

सूत्रों का कहना है कि अभी तक की बैठकों में दोनों ओर से अपनी अपनी बातें रखी गई हैं और अभी तक दोनों ही पक्ष अपने अपने रुख पर अड़े हुए हैं. कुछ मुद्दों पर दिक्कतें पहले की तरह ही बरकरार हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकार अपनी मजबूरी और वित्तीय बोझ की बात को आगे रख रही है. वहीं कर्मचारी नेता कर्मचारियों के हित और वेतन आयोग से कामकाज पर पड़ने वाले असर की बात रख रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बातचीत में अभी तक कोई सकारात्मक बात निकलकर सामने नहीं आई है.

इन सब मुद्दों पर जब एनडीटीवी ने कर्मचारी यूनियनों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिव गोपाल मिश्रा से बात की तो उनका कहना है कि बातचीत के जरिए हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है. समितियों के गठन के बाद चर्चा के लिए चार महीने का समय तय किया गया है. उम्मीद है इस दौरान बातचीत से सरकार और कर्मचारियों के हित का कोई रास्ता निकल आए. (ईपीएफओ मार्च 2017 से शुरू करेगा आधार कार्ड से जुड़ी ऑनलाइन निकासी, पेंशन सेवाएं )

उल्लेखनीय है कि 7वें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) की सिफारिशों को लेकर कर्मचारियों की नाराजगी के बाद उठे सवालों के समाधान के लिए सरकार की ओर से तीन समितियों का गठन किया गया है. बता दें कि सरकार की ओर से सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में अलाउंस को लेकर हुए विवाद से जुड़ी एक समिति, दूसरी समिति पेंशन को लेकर और तीसरी समिति वेतनमान में कथित विसंगतियों को लेकर बनाई गई है.

तीनों समिति के गठन के लिए बाकायदा ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी किया गया था.इसके बाद सरकार और कर्मचारी संगठनों के नेताओं के बीच बातचीत शुरू हो गई है. कर्मचारी संगठन के नेताओं में पेंशन को लेकर आयोग की सिफारिशों में कुछ आपत्तियां जताई हैं और उनको सरकार के समक्ष समिति की बैठक में उठाया भी है. उल्लेखनीय है कि इन सभी समितियों को अपनी रिपोर्ट 4 महीने के भीतर देनी है.

सबसे अहम समिति विसंगतियों को लेकर बनाई गई है. इसे एनोमली समिति का नाम दिया गया है. इसी समिति के पास न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी है. चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों के न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी इस तीसरी समिति का पास है. यही समिति न्यूनतम वेतनमान को बढ़ाने की मांग करने वाले कर्मचारी संगठनों से बात कर रही है. वित्त सचिव की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया है. समिति में छह मंत्रालयों के सचिव शामिल हैं.

सरकार के साथ बैठक में कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने उठाए निम्न मुद्दे -

  1. न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा.
  2. एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए.
  3. ट्रांसपोर्ट अलाउंस को महंगाई के हिसाब से रेश्नलाइज किया जाए.
  4. बच्चों की शिक्षा के लिए दिया जाने वाले अलाउंस को कम से कम 3000 रुपये रखा जाए.
  5. मेडिकल अलाउंस की रकम भी 2000 रुपये करने की मांग की गई है.
  6. कई अलाउंस जो सातवें वेतन आयोग ने समाप्त किए हैं उनपर पुनर्विचार किया जाए.  
  7. सभी अलाउंस को आयकर फ्री किया जाए.
  8. यह मांगे 1-1-2016 लागू की जाएं.

न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा है सबसे जरूरी
कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब का सभी को इंतजार है. सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के मन में वास्तविक बढ़ोतरी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इस सबके पीछे तृतीय और चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों की हड़ताल की धमकी के बाद सरकार द्वारा न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने की मांग को स्वीकार कर करीब 33 लाख कर्मचारियों को लिखित में आश्वासन देना है. कर्मचारी नेताओं से बातचीत के बाद न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा सुलझा लिए जाने की अपेक्षा है.

न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने की मांग के चलते अब क्लास वन और क्लास टू श्रेणी के केंद्रीय कर्मचारियों के मन में भी तमाम प्रश्न हैं. सभी लोगों को अब इस बात का इंतजार है कि सरकार कौन से फॉर्मूले के तहत यह मांग स्वीकार करेगी. सभी अधिकारियों को अब इस बात का बेसब्री से इंतजार है. ऐसे में कई अधिकारियों का विचार है कि हो सकता है कि न्यूनतम वेतन बढ़ाए जाने की स्थिति में इसका असर नीचे से लेकर ऊपर के सभी वर्गों के वेतनमान में हो. कुछ अधिकारी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हो सकता है कि इससे वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा बढ़ोतरी हो जाए. ऐसा होने की स्थिति में सरकार पर केंद्रीय कर्मचारियों को वेतन देने के मद में काफी फंड की व्यवस्था करनी पड़ेगी और इससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

वहीं, कुछ अन्य अधिकारियों का यह भी मानना है कि सरकार न्यूनतम वेतनमान बढ़ाए जाने की स्थिति में कोई ऐसा रास्ता निकाल लाए जिससे सरकार पर वेतन देने को लेकर कुछ कम बोझ पड़े. कुछ लोगों का कहना है कि सरकार न्यूनतम वेतनमान में ज्यादा बढ़ोतरी न करते हुए दो-या तीन इंक्रीमेंट सीधे लागू कर दे जिससे न्यूनतम वेतन अपने आप में बढ़ जाएगा और सरकार को नीचे की श्रेणी के कर्मचारियों को ही ज्यादा वेतन देकर कम खर्चे में एक रास्ता मिल जाएगा. सवाल उठता है कि क्या हड़ताल पर जाने की धमकी देने वाले कर्मचारी संगठन और नेता किस बात को स्वीकार करेंगे.

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